जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले में सुरक्षाबलों ने लश्कर के छह आतंकियों को मार गिराया। सेना ने मंगलवार को घाटी में बीते कई दिनों से नागरिकों और सैनिकों की हत्याएं कर रहे आतंकियों को करारा जवाब दिया है। अब भी सेना और आतंकियों के बीच मुठभेड जारी है। सेना के 16 कॉर्प्स के जवान फिलहाल 3 से 4 आतंकियों से मोर्चा ले रहे हैं।
दूसरी तरफ आतंकियों के मंसूबों को विफल करने के लिए श्रीनगर, कुलगाम सहित 11 जिलों में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं। इससे आतंकियों के मददगार सीमा पार अपने आकाओं एवं हैंडलर्स से संपर्क में हो सकते हैं। ये मददगार स्थानीय स्थिति की जानकारी उन तक पहुंचा सकते हैं। कश्मीर के जिन इलाकों में इंटरनेट सेवाओं पर रोक लगाई गई है उनमें श्रीनगर के आठ, कुलगाम के दो और पुलवामा का एक इलाका शामिल है। प्रशासन की कोशिश है कि आतंकियों के मददगार डाटा का इस्तेमाल कर जानकारियां बाहर न भेज पाएं।
राजौरी के जंगलों में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में भारतीय सेना के नौ सेनिकों को खोने के बाद, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने 16 अक्टूबर को क्षेत्र का दौरा किया और आतंकवाद विरोधी अभियानों को संभालने वाले स्थानीय कमांडरों के साथ चर्चा की। उन्होंने लोकल कमांडर्स से मुलाकात की थी और आतंकियों के खिलाफ जारी ऑपरेशंस के बारे में जानकारी ली थी।
इस दौरान जनरल बिपिन रावत ने आर्मी कमांडर्स से कहा था कि वे खुद आतंकियों का पीछा करने की बजाय उनका इंतजार करें और मौका पाने पर ढेर करें। भारतीय सेना के एक कमांडर ने बताया कि हमारे सैनिकों की शहादत की वजह यह थी कि आतंकी इन जंगलों में छिपकर ऑपरेट कर रहे थे। इसके चलते वे आसानी से अपनी जगह बदल रहे थे और बड़ी संख्या में फोर्स उनकी तलाश में जुटी थी।
होम मिनिस्ट्री के सूत्रों के मुताबिक बीते दो से तीन महीनों में राजौरी-पुंछ सीमा से 9 से 10 लश्कर आतंकियों ने भारत में घुसपैठ की थी। पिछले दो से तीन महीनों में नौ से 10 लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी पाकिस्तान से राजौरी-पुंछ जिले की सीमाओं के बीच के जंगलों की ओर घुसपैठ कर चुके हैं। जबकि एलओसी पर और बाड़ के साथ घुसपैठ की कई कोशिशों को नाकाम कर दिया गया था, पाक आतंकवादी अफगानिस्तान में अपनी सफलता से उत्साहित थे और उस हद तक भारतीय सेना और सुरक्षा एजेंसियों द्वारा आतंकवादी वृद्धि का अनुमान लगाया गया था।