फिनलैैंड स्थित यूनिवर्सिटी आफ हेलसिंकी में हुए एक नए अध्ययन के दौरान अधेड़ उम्र में अनिद्रा के लक्षण्ाों के विकास तथा सेवानिवृत्ति के बाद स्मृति, सीखने की क्षमता तथा एकाग्रता पर उनके प्रभावों का निरीक्षण व विश्लेषण किया गया। अध्ययन में शामिल लोगों पर करीब 17 वर्षों तक नजर रखी गई। इसमें पाया गया कि दीर्घकालिक अनिद्रा के लक्षण व बढ़ती उम्र में खराब संज्ञानात्मक कार्यप्रणाली के बीच स्पष्ट संबंध हैं।
शोधकर्ता एंटी एथोलेन के अनुसार, ‘निष्कर्ष बताते हैं कि गंभीर अनिद्रा के लक्षण उम्रदराज लोगों के संज्ञान पर बेहद खराब प्रभाव डालते हैैं।” अध्ययन से पता चला कि यदि अनिद्रा के लक्षण आगामी वर्षों में कम होते गए, तो सेवानिवृत्ति की उम्र के बाद भी याददाश्त बेहतर रह सकती है। प्रोफेसर टी. लल्लुका कहती हैैं, ‘हमारे अध्ययन के आधार पर अनिद्रा के इलाज की शुरुआत और नींद की गुणवत्ता को बेहतर करने के उपाय करना उचित होगा।” नींद की गुणवत्ता में सुधार के कई तरीके हैं। इनमें नींद की लय की नियमितता, सोने के वातावरण का उचित तापमान व रोशनी, व्यायाम, काफी की खपत तथा खाने का पसंदीदा समय शामिल हैं। हालांकि, लल्लुका का मानना है कि अच्छी नींद के उपायों के प्रभावों का पता लगाने के लिए विस्तार से अध्ययन की जरूरत है।