बांग्लादेश के खिलाफ तीसरे वनडे मैच में इशान किशन दोहरा शतक लगाकर सलामी बल्लेबाज के तौर पर एक मजबूत विकल्प के रूप में उभरे हैं। इशान की इस पारी ने कई खिलाड़ियों की चिंता निश्चित रूप से बढ़ा दी होगी। भारतीय टीम की नई चयन समिति के गठन के बाद पिछले कुछ समय से खराब लय में चल रहे अनुभवी सलामी बल्लेबाज शिखर धवन के भविष्य को लेकर चर्चा की जाएगी। धवन ने अपने पिछले नौ वनडे में से आठ में बुरी तरह संघर्ष किया है। वह पावरप्ले के ओवरों में धीमी बल्लेबाजी कर रहे हैं जो टीम के लिए हानिकारक साबित हो रहा है।
ऐसे में इशान ने जहां ओपनर के तौर पर अपना दावा मजबूत कर लिया है, वहीं धवन का भविष्य अधर में नजर आ रहा है।
टी-20 के युग में शुभमन गिल और इशान की आक्रामक बल्लेबाजी के सामने पिछले कुछ समय से धवन फीके नजर आए हैं। बांग्लादेश में वनडे सीरीज गंवाने के बाद बीसीसीआई टीम के प्रदर्शन की समीक्षा बैठक करेगा। इसमें मुख्य कोच द्रविड़ और एनसीए प्रमुख वीवीएस लक्ष्मण के साथ भविष्य के खाके पर चर्चा होगी।
तेजी से रन नहीं बना पा रहे हैं धवन
धवन के साथ सबसे बड़ी समस्या यह आ रही कि वह पारी की शुरुआत में तेजी से रन नहीं बना पा रहे हैं। 2019 विश्व कप से पहले उनका स्ट्राइक रेट 100 से अधिक का हुआ करता था जबकि 2022 में उनका स्ट्राइक रेट 75 का है। इशान ने टीम को वह आक्रामक रवैया दिया जिसकी उसे जरूरत थी। उनकी इस पारी के बाद टीम प्रबंधन चयन मामलों पर विचार करने पर मजबूर होगा। हालांकि, धवन को बाहर रखने का फैसला चयनसमिति के लिए किसी भी सूरत में आसान नहीं होगा। एक विचार यह है कि धवन को श्रीलंका और न्यूजीलैंड के खिलाफ जनवरी में कम से कम छह वनडे मैचों में मौका दिया जाना चाहिए और फिर प्रदर्शन के आधार पर मार्च के अंत में होने वाली आस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे सीरीज पर फैसला किया जाना चाहिए।
गिल को नजरअंदाज करना मुश्किल
शुभमन गिल को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। गिल पिछले छह महीने में भारत के सबसे निरंतर प्रदर्शन करने वाले बल्लेबाज रहे हैं। कुछ अजीब कारणों से चेतन शर्मा की अगुआई वाली निवर्तमान समिति ने गिल को बांग्लादेश वनडे से आराम देने का फैसला किया। वह टी-20 एशिया कप या विश्व कप टीम का हिस्सा नहीं थे इसके बावजूद इस युवा बल्लेबाज को विश्राम देने का फैसला समझ से परे रहा। जब गिल और किशन जैसे बल्लेबाज टीम में अपनी बारी का इंतजार कर रहे हों तो उन्हें ज्यादा देर तक बाहर रखना मुश्किल होगा।
धवन, रोहित और कोहली को साथ रखना पड़ रहा भारी
टीम को धवन, रोहित और कोहली जैसे उम्रदराज खिलाड़ियों को वनडे के लिए एकादश में रखने का नुकसान उठाना पड़ रहा है। कोहली पिछले कुछ समय से आक्रामक बल्लेबाजी की जगह एक छोर संभाले रखने को पसंद कर रहे हैं। ऐसे में दूसरे छोर के बल्लेबाज पर तेजी से रन बनाने का दबाव रहता है। पिछले कुछ समय से रोहित भी आक्रामक बल्लेबाजी करने में विफल रहे हैं। धवन के लिए एक और समस्या यह है कि वह सिर्फ वनडे प्रारूप में खेल रहे है। पिछले चार साल में उन्होंने घरेलू क्रिकेट में भी ज्यादा मैच नहीं खेले हैं।
विश्व कप को देखते हुए 2023 महत्वपूर्ण
वनडे विश्व कप अगले साल भारत में ही होना है जिसे देखते हुए टीम के लिए 2023 काफी महत्वपूर्ण है। भारतीय टीम का अगला कैलेंडर साल काफी व्यस्त है जिसकी शुरुआत तीन जनवरी को घरेलू सीरीज से होगी। तीन जनवरी से एक फरवरी के बीच भारत 29 दिनों के अंतराल में सीमित ओवरों के 12 मैच खेलेगा। इसमें न्यूजीलैंड के खिलाफ छह और श्रीलंका के खिलाफ छह मैच शामिल हैं। इस दौरान वनडे टीम में ऐसे खिलाड़ी हो सकते हैं जो टीम प्रबंधन को लगता है कि 2023 विश्व कप का हिस्सा होंगे। भारत के लिए विश्व कप को देखते हुए एक कोर टीम बनाना जरूरी है जो इस वैश्विक टूर्नामेंट के लिए संभावित खिलाड़ियों का समूह हो, जिससे टीम प्रबंधन को यह सुनिश्चित करने का समय मिल सके कि वे किस खिलाड़ी को विश्व कप टीम के लिए सही समझते हैं।