कोरोना वायरस के खिलाफ संक्रमण और वैक्सीन के चलते पैदा होने वाली एंटीबाडी कितने समय तक आपके शरीर में बनी रहेगी इसके बारे में कुछ महीनों में पता चल जाएगा। स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों ने यह बात कही, साथ ही यह भी जोड़ा कि एंटीबाडी का जीवनकाल उसके वर्ग और प्रकार पर निर्भर करेगा।
विशेषज्ञों के मुताबिक एंटीबाडी विभिन्न् तरह की हैैं और सभी की अलग-अलग उम्र है। यह देखने में आया है कि पिछले साल जो लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हुए थे, उनमें से कई को दोबारा कोरोना हो गया।
आइजीएम और आइजीजी एंटीबाडी का व्यापक समूह हैै और इनके अंदर भी कई समूह हैैं। शरीर में जब कोई वायरस प्रवेश करता है तो सबसे पहले आइजीएम एंटीबाडी सक्रिय होती है। आजीजी एंटीबाडी देर से बनती है और ज्यादा समय तक टिकी रहती है।
मेदांता अस्पताल के इंस्टीट्यूट आफ चेस्ट सर्जरी विभाग के चेयरमैन डा. अरविंद कुमार ने कहा कि अलग-अलग तरह की एंटीबाडी होती हैैं और सबकी अपनी उम्र होती है। कोरोना वायरस या वैक्सीन अलग-अलग वर्ग और प्रकार की एंटीबाडी पैदा करती हैैं। हर एंटीबाडी की अपनी उम्र होती हैै और उससे ज्यादा कोई भी नहीं बनी रहती है।
उन्होंने कहा कि हमें अगले कुछ महीनों में पता चल जाएगा कि क्या कोरोना एंटीबाडी छह या एक साल से ज्यादा समय तक बनी रहती है।
एंटीबाडी क्या है
एंटीबाडी तरह की प्रोटीन है। जब शरीर में कोई वायरस या बैक्टीरिया प्रवेश करता है शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता यह प्रोटीन बनाती है।