नवरात्र के नौ दिन देवी की आराधना के लिए विशेष हैं। हमारे छत्तीसगढ़ में कई ऐसे शक्ति पीठ हैं जिनकी चर्चा देशभर में है। आज हम आपको बताएंगे बस्तर के दंतेश्वरी मां की महिमा। देवी दंतेश्वरी 52 शक्तिपीठों में से एक है। 14 वीं शताब्दी में निर्मित मंदिर, दंतेवाड़ा, जगदलपुर तहसील, छत्तीसगढ़ से 80 किमी दूर स्थित एक शहर है। दंतेवाड़ा का नाम देवी दंतेश्वरी के नाम पर रखा गया है, जो पहले के काकतीय शासकों के देवता थे। परंपरागत रूप से वह बस्तर की कुलदेवी (पारिवारिक देवी) है।
मंदिर किंवदंतियों के अनुसार, उस स्थान पर जहां सती के युग में तमाम शक्ति तीर्थ बनाए गए थे, इस प्रकरण के दौरान दानी या सती के दांत गिर गए थे। यहां दर्शन करने के लिए पर्यटकों को भारतीय पारपरिक वस्त्र पहन कर जाना होता है। राजधानी रायपुर से करीब 380 किलोमीटर दूर दंतेवाडा शहर स्थित है। यहां के डंकिनी और शंखिनी नदियों के संगम पर माँ दंतेश्वरी का मंदिर है। पुरातात्विक महत्व के इस मंदिर का पुनर्निर्माण महाराजा अन्नमदेव द्वारा चौदहवीं शताब्दी में किया गया था। आंध्रप्रदेश के वारंगल राज्य के प्रतापी राजा अन्नमदेव ने यहां आराध्य देवी माँ दंतेश्वरी और माँ भुवनेश्वरी देवी की प्रतिस्थापना की।
राजधानी रायपुर से देश के अन्य भागों से हवाई, रेल तथा सड़क मार्गों से सुव्यवस्थित जुड़ा हुआ है। रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर से दंतेवाड़ा के लिए सड़क मार्ग से बसों से जा सकते हैं। प्राइवेट टैक्सी द्वारा भी 7 घण्टे की यात्रा द्वारा रायपुर से पहँचा जा सकता है। इसके अलावा आंध्र प्रदेश के विशाखापटनम , विजयवाड़ा एवं हैदराबाद से भी यह सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है । विशाखापटनम एवं हैदराबाद से सीधी नियमित बस सेवा है।