रायपुर, पूनम ऋतु सेन। कार्तिक मास की शुरुआत 21 अक्टूबर से शुरू हो रही है। कार्तिक मास का पहला व्रत करवा चौथ का व्रत 24 अक्टूबर, रविवार के दिन पड़ेगा। इस दिन सुहागिनें महिलाएं अपने पति की लंबी आयु की कामना करती हैं और उनकी सुख-समृद्धि के लिए करवा चौथ के दिन निर्जला व्रत रखती है। हिंदू धर्म में करवा चौथ का व्रत महिलाओं के लिए बहुत खास होता है। इस दिन महिलाएं सोलह शृंगार करके चौथ माता की पूजा करती है। रात में गणेश जी, भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। आइए जानते है इस पावन व्रत के महत्वपूर्ण नियम क्या-क्या हैं-
करवा चौथ व्रत से संबंधित महत्वपूर्ण नियम
• करवा चौथ व्रत के दिन चंद्रमा के दर्शन और पूजा से पहले अन्न और जल ग्रहण नहीं किया जाता है।
• सुहागिन महिलाओं के लिए विवाह के बाद 12 या 16 वर्षों तक निरंतर करवा चौथ व्रत करना महत्वपूर्ण माना गया है।
• करवा चौथ के दिन महिलाएं दुल्हन की तरह श्रृंगार करती हैं और आभूषण पहनती हैं।
• करवा चौथ की पूजा में एक मीठा करवा और एक मिट्टी का करवा अवश्य शामिल करें।
• मिट्टी के करवे से ही चंद्रमा को अर्घ्य दें।
• इसके बाद भगवान शिव, मां पार्वती, और भगवान गणेश का स्मरण करें और उसके बाद अपने पूरे परिवार के साथ भोजन ग्रहण करें।
• यदि आप कुंवारी हैं और करवा चौथ का व्रत कर रही हैं तो आपको केवल चौथ माता, भगवान शिव, मां पार्वती की पूजा करके उनकी कथा सुननी चाहिए। कुंवारी कन्याओं को चंद्रमा देखकर व्रत तोड़ने की आवश्यकता नहीं होती है। आप तारों को देख कर भी अपना व्रत पूरा कर सकती हैं।
करवा चौथ का व्रत रखने की मान्यतायें
करवा चौथ के बारे में रामचरितमानस के लंका कांड में उल्लेखित वर्णन के अनुसार, जो कोई पति पत्नी किसी भी कारणवश एक दूसरे से अलग हो गए हैं चंद्रमा की किरणें उन्हें ज्यादा कष्ट पहुंचाती हैं इसलिए, करवा चौथ के दिन चंद्र देव की पूजा करके महिलाएं अपने पति के साथ आजीवन रहने की कामना करती हैं।
बताया जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने भी करवा चौथ व्रत का सुझाव द्रौपदी को दिया था जिससे पांडवों पर आये संकटों को दूर किया जा सका था।
इसके अलावा कहा जाता है कि वीरावती ने भी करवा चौथ व्रत के दम पर ही अपने पति को काल से वापस लाने में सफलता प्राप्त की थी।
क्या है सरगी का महत्व
इस दिन अपने व्रत की शुरुआत महिलाएं सरगी खाकर करती हैं, जिसे इस व्रत में काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। सरगी की थाली व्रत रखने वाली महिलाओं को करवा चौथ के दिन उनकी सास देती हैं। सरगी की थाली में मिठाइयां, फल, सूखे मेवे, मठरी, सेवइयां, फिरनी, नारियल पानी, पूरी या पराठे, जूस इत्यादि चीजें होती हैं। इसके अलावा सास अपनी बहू को कपड़े, आभूषण और श्रृंगार का सामान भी देती हैं। बहुएं सास द्वारा दी गई सरगी को प्रसाद के रूप में ग्रहण करती हैं और फिर करवा चौथ का व्रत रखती हैं।
कहा जाता है कि सरगी की थाली में फलों को देकर सास अपनी बहू को उसके वैवाहिक जीवन में मिठास बने रहने का आशीर्वाद देती है। मिठाइयों के बिना हमारे त्योहार अधूरे माने जाते हैं, इसलिए सरगी की थाली में मिठाइयां रखना बेहद शुभ माना जाता है। सरगी में सूखे मेवे, नारियल पानी और फलों के जूस का सेवन किया जाता है। इससे व्रत के दौरान शरीर में कमजोरी महसूस नहीं होती है और ऊर्जा बनी रहती है।