एक नए शोध में अनुसंधानकर्ताओं ने लिवर कैंसर में एक प्रोटीन और एक आइएनसी-आरएनए मालीक्यूल की पहचान कर ली है। ‘गट” जर्नल में प्रकाशित इस शोध में कहा गया है कि आइएनसी-आरएनए मालीक्यूल की तादाद बढ़ाने से ट्यूमर सेल में जमा चर्बी कम हो जाती है। इस ट्यूमर की कोशिकाओं में विभाजन होता है और घटती जाती हैैं। फिर यह ट्यूमर सेल एकदम ही खत्म हो जाती हैैं। नए शोध में मिली इस जानकारी से भविष्य में कैंसर का बेहतर इलाज होने के साथ ही इसकी पहचान भी बेहतर तरीके से हो सकेगी।
कैरोलिंस्क इंस्टीट्यूट के माइक्रोबायोलाजी, ट्यूमर और सेल बायोलाजी की वरिष्ठ श्ाोधकर्ता क्लाडिया कटर ने बताया कि हमारे जीनोम हमारी कोशिकाओं को निर्देश देते हैैं जिससे हरेक प्रकार की कोशिका के लिए एक उच्चस्तरीय कार्य करना तय होता है। इस संदेश को बाहर दो प्रकार के आरएनए मालीक्यूल (अणु) के जरिये भेजा जाता है। यह आरएनए इन कूट संदेशों के जरिये डीएनए को प्रोटीन में तब्दील किया जाता है और बिना कूट संदेश या निर्देश वाले आरएनए कोई भी प्रोटीन पैदा नहीं करते हैैं। इसलिए अब तक इन पर कम शोध हुए हैैं। जबकि शरीर में 97 फीसद आरएनए प्रोटीन नहीं बनाते हैैं। लेकिन शोध में पाया गया कि ऐसे बहुत से प्रोटीन बिना कूट संदेश वाले आरएनए से प्रतिक्रिया करते हैैं जिन्हें हम आइएनसी-आरएनए भी कहते हैैं। श्ाोध में लिवर कैंसर के मरीज से टिश्यू लिया गया और इसकी विशि जोड़ी प्रोटीन वाले आरएनए (सीसीटी3) और आइएनसी-आरएनए मालीक्यूल (लिंक00326) बनाकर एडवांस सीआरआइएसपीआर टेक्नोलाजी का इस्तेमाल करने पर पाया कि दोनों तरह के आरएनए कम हो रहे थे और उनका प्रोटीन भी कम हो रहा था। यह प्रोटीन ही कैंसर कोशिकाओं को प्रभावित करता है।