हल्द्वानी। सियाचिन में 38 साल पहले शहीद हुए लांसनायक चंद्रशेखर की पार्थिव देह खराब मौसम के चलते मंगलवार को घर नहीं लायी जा सकी। प्रशासनिक अधिकारियों के मुताबिक लेह-लद्दाख में मौसम सामान्य होते ही पाथिज़्व शरीर को हल्द्वानी लाया जाएगा। द्वाराहाट (अल्मोड़ा) के हाथीगुर बिंता निवासी चंद्रशेखर हर्बोला 19-कुमाऊं रेजीमेंट में लांसनायक थे। मई 1984 में सियाचिन में पेट्रोलिंग के दौरान 20 सैनिकों की टुकड़ी ग्लेशियर की चपेट में आ गई थी। इनमें लांसनायक चंद्रशेखर हर्बोला समेत किसी भी सैनिक के बचने की उम्मीद नहीं रही। बीते 14 अगस्त को उनके परिजनों को पार्थिव शरीर मिलने सूचना दी गई। पार्थिव शरीर मंगलवार को हल्द्वानी लाया जा रहा था, लेकिन खराब मौसम रुकावट बन गया। अब बुधवार को पार्थिव शव लाये जाने की बात कही जा रही है।
इधर, शहीद चंद्रशेखर का पार्थिव शरीर मिलने की सूचना पर 38 साल पुराना दर्द एक बार फिर उनके परिजनों की आंखों में उतर आया। एक तरफ शहीद की वीरांगना शांति देवी का पिछले तीन दिन से रो-रोकर बुरा हाल है, वहीं 38 साल से पिता का इंतजार कर रहीं बेटियों के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। प्रशासनिक और सैन्य अधिकारियों के मुताबिक, मंगलवार को शहीद का पर्थिव शरीर उनके घर पहुंचना था। सैन्य अधिकारियों से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों ने शहीद को सम्मान और श्रद्धांजलि देने की पूरी तैयारियां कर ली थीं। शहीद के अंतिम दर्शन के लिए परिजनों को अभी और इंतजार करना पड़ सकता है। सिटी मजिस्ट्रेट ऋचा सिंह ने बताया कि पार्थिव शरीर चॉपर से हल्द्वानी लाया जाएगा।