टीम गठित करने जिपं सीईओ के आदेश
जांजगीर-चांपा। अकलतरा जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम पंचायत कोटमी सोनार मे सरपंच और सचिव द्वारा मिलकर शासकीय राशि के दुरुपयोग तथा अनियमितता करने की शिकायत एसडीएम जांजगीर तथा सीईओ जिला पंचायत जांजगीर से की गई थी। जिला पंचायत सीईओ गजेंद्र सिंग ठाकुर ने जांच टीम गठित करने के आदेश दिए। साथ एसडीएम मेनका प्रधान ने भी जांच का आश्वासन दिया है।
त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था में ग्राम सचिव की भूमिका मार्गदर्शक की होती है परंतु शायद बहुत सचिव ऐसे हैं जो मार्गदर्शक की नहीं बल्कि मार्ग से भटकाकर गांव को डुबोने की भूमिका निभाते हैं। ग्राम पंचायत कोटमी सोनार के सरपंच और सचिव की कहानी जय- वीरू की है जिन्होंने पंचायत को लूट कर गब्बरों को फायदा पहुंचाया है। कबीरदास जी का दोहा ऐसे ही सचिव रूपी गुरु के लिए कहा गया है। जाके गुरु भी अंधला, चेला खरा निरंध, अंधे अंधा ठेलिया दोनो कूप पडंत। अर्थात जिसका गुरु भी अंधा हो और चेला भी, ऐसे गुरु -शिष्य दोनों एक दूसरे को ठेलते हुए कुएं में जा गिरते हंै। यही हाल आज कोटमी सोनार सरपंच और सचिव का है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अकलतरा जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम पंचायत कोटमी सोनार की नाम मात्र सरपंच रामिन बाई नेताम तथा सचिव हेमलाल सिंग ने ग्राम पंचायत के विकास के लिए आयी राशि को खाने के लिए मनमाने तरीके से विभिन्न एजेंसियों को बांटे है और जिन एजेंसियों के नाम ग्रामपंचायत के चेक काटे गये हैं उन एजेंसियों में कुछ एजेंसियां ऐसी है जिनका काम और राशि का कोई मेल नहीं बैठ रहा है। शिकायतकर्ता ने बताया कि जिस अग्रवाल इंटरप्राइजेज के नाम अड़तीस लाख (380000) के चेक काटे गये हैं वो इलेक्ट्रॉनिक सामानों की दुकान है तो क्या कोरोना काल में श्रमिको को या पूरे ग्राम पंचायत को टीवी, कूलर, फ्रिज, वाशिंग मशीन बांटे गये हैं। इसी तरह मुरमीकृत सड़क के लिए एक बार दो लाख निन्यानबे हजार (2.99 लाख) तथा दूसरी बार दो लाख (2 लाख) के चेक काटे गये है जिसके लिए न तो प्रशासकीय स्वीकृति ली गयी है और न ही तकनीकी स्वीकृति ली गई थी और एकतरफा चेक काटे गए हैं, जबकि पचास हजार से ऊपर के निर्माण कार्य के लिए जिला सीईओ की स्वीकृति आवश्यक होती है। इसी तरह गोठान में कांटेदार तार के नाम पर पांच लाख रुपये आहरित किये गये हैं, परंतु गोठान में तार कहीं नजर नहीं आ रहे हंै। शिकायतकर्ता ने बताया कि कोटमी सोनार में जिस तरह आम जनता तथा ग्राम के विकास के लिए आयी राशि का सत्यानाश किया जा रहा है वह सोचनीय स्थिति है। अगर इस तरह की स्थितियों को शासन द्वारा नहीं रोका गया तो शासन के द्वारा लोगों को दिखाया गया सुशासन का स्वप्न मात्र स्वप्न बन कर रह जायेगा।
शिकायत कर्ता ने इस मामले में कहा है कि उनके द्वारा कुछ बड़े घोटालों पर ही शिकायत की गई है अगर इस विषय में ईमानदारी और बारीकी से जांच की तो पता चलेगा कि किस तरह सरपंच और सचिव मिलकर सरकार को करोड़ों का चूना लगा रहे हैं। सबसे हैरानी की बात सचिव हेमलाल द्वारा आंख मूंद कर सरपंच का अंधानुकरण किया जाना है क्योंकि सचिव शासकीय कर्मचारी होने के बाद भी मनमाने तरीके से शासकीय राशि का आहरण कर रहा है। ग्राम कोटमी सोनार के इस महाघोटाले से कबीरदास का उपर कहा दोहा सत्य प्रतीत होता है।