गरियाबंद जिले के सुदूर वनांचल ग्राम पंचायत कोपेकसा के सुखरीडबरी गांव में विशेष पिछड़ी भुंजिया जनजाति का एक बच्चे मानसिक रुप से विक्षिप्त है। वह कहीं भी जंगल में निकलकर चला जाता है तो उसकी मां उसे ढूंढती फिरती है। उसका लाल कहीं चला न जाए, इसकी उसकी मां उसे झोपड़ीनुमा कमरे में बांध कर रखने मजबूर है।
मां की मानें तो उसने अपने लाल महेश के ईलाज का काफी प्रयास किया, लेकिन वह ठीक नहीं हो पाया। सरकारी या प्रशासनिक मदद मिल लाए तो अच्छे तरीके ईलाज हो सकता है। इलाज से महेश की मानसिक स्थिति में सुधार हो सकता है। अभी तक किसी प्रकार का विशेष ईलाज के लिए महेश को सहयोग नहीं मिल पाया है।
विशेष पिछड़ी जनजातियों के लिए सरकार कई योजनाएं संचालित कर करोड़ों रुपये खर्च करती है, लेकिन आज भी वनांचल के कई गांवों में इन जनजाति के बीच इस प्रकार हालत देखने को मिलता है।