उत्तराखंड के मुस्लिम समाज की पंचायत ने दहेज के लेन-देन पर भी पाबंदी लगाने के अलावा शादी-विवाह और अन्य सामाजिक समारोह में सुधार के लिए कई महत्वपूर्ण फैसले लिये। इसमें समाज को शादी में तेज आवाज में गाने-बजाने और आतिशबाजी नहीं कराने की हिदायत दी गई। साथ ही पंचायत ने फैसला लिया कि बारात में केवल 25 लोग जा सकेंगे। इसके अलावा बारात में महिलाओं और बालिग लड़कियों को नहीं ले जा सकते हैं।
मंगलौर के मोहल्ला मलिकपुरा स्थित मदरसा तुल मोमिनीन में मुस्लिम समाज के व्यक्तियों की पंचायत हुई। पंचायत में कुछ लोगों ने शादी में बढ़-चढ़कर दिखावा करने और दहेज लेन-देन से गरीबों को होने वाली परेशानी का मुद्दा उठाया। इसके बाद पंचायत में फैसला लिया गया कि अगर किसी मुसलमान के यहां डांस, गाना, आतिशबाजी और खड़े होकर खाना खिलाने की व्यवस्था होगी तो उसके यहां कोई शरीक नहीं होगा। लड़कियों को दहेज देने के बजाय शरीयत के मुताबिक उन्हें विरासत में हिस्सा दिया जाएगा। इसके अलावा मंगनी, जूता छिपाई की रस्म और सलामी आदि जैसी गैर शरई रस्मों पर पूरी तरह पाबंदी लगाई गई है।