निकहत जरीन (52 किग्रा) इस्तांबुल में महिला विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप के फाइनल में जगह बनाने वाली एकमात्र भारतीय रहीं जबकि दो अन्य मुक्केबाजों ने कांस्य पदक से अपना सफर समाप्त किया। पूर्व जूनियर विश्व चैंपियन जरीन ब्राजील की कैरोलिन डि एलमेडा के खिलाफ मुकाबले के दौरान संयमित बनी रहीं और अपनी प्रतद्वंद्वी पर पूरी तरह दबदबा बनाए रखा। इससे वह 52 किग्रा के अंतिम चार मुकाबले में सर्वसम्मत फैसले में 5-0 से जीत दर्ज करने में सफल रहीं।
लेकिन मनीषा मौन (57 किग्रा) और पदार्पण्ा करने वाली परवीन हुड्डा (63 किग्रा) को कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा। मनीषा को टोक्यो ओलिंपिक की कांस्य पदक इटली की इरमा टेस्टा से 0-5 के सर्वसम्मत फैसले से और परवीन को आयरलैंड की एमी ब्राडहर्स्ट से 1-4 के विभाजित फैसले से हार का सामना करना पड़ा। छह बार की विश्व चैंपियन एमसी मेरी कोम, सरिता देवी, जेनी आरएल और लेखा सी ऐसी भारतीय महिला मुक्केबाज हैं जिन्होंने विश्व खिताब अपने नाम किए हैं। अब हैदराबाद की मुक्केबाज जरीन के पास भी इस सूची में शामिल करने का मौका है।
भारत का इस प्रतियोगिता में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 2006 में रहा है जब देश ने चार स्वर्ण, एक रजत और तीन कांस्य सहित आठ पदक जीते थे। पिछले चरण में चार भारतीय मुक्केबाज पदक के साथ लौटी थीं जिसमें मंजू रानी ने रजत पदक जीता था जबकि मेरी कोम ने कांस्य पदक के रूप में आठवां विश्व पदक अपने नाम किया था।