मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिजली आपूर्ति के मामले में एक राष्ट्र-एक दर की नीति लागू करने की मांग की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की छठी वर्चुअल बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश ने कहा कि केंद्र की उत्पादन इकाइयों से राज्यों को अलग-अलग दर पर बिजली मिलती है, इसलिए जरूरी है कि ऐसी नीति बने कि पूरे देश में एक दर हो। बिहार को मंहगी बिजली मिल रही है। इससे उपभोक्ताओं को राज्य सरकार द्वारा अधिक अनुदान देना पड़ता है। पूरे देश के लिए अगर एक नीति बन जाएगी तो बिहार को काफी सहूलियत होगी।
मुख्यमंत्री नीतीश ने कहा कि बिहार जैसे राज्यों के भीतर बैंकों में जो पैसा जमा है, उसका उपयोग प्रदेश के ही उद्योगों के लिए ऋण के तौर पर किया जाए। अभी यह राशि विकसित राज्यों में चली जाती है। केंद्र सरकार को इस तरह का प्रावधान करना चाहिए। इससे ऋण-जमा अनुपात में वृद्धि होगी। बिहार में ऋण-जमा अनुपात मात्र 36.1 फीसद है। यह काफी कम है। यहां के बैंकों में 3.75 लाख करोड़ जमा हैं और मात्र 1.35 लाख करोड़ ही ऋण के रूप में दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि यह प्रावधान जरूरी है कि यहां जो जमा है उसका उपयोग केवल बिहार में हो। प्रत्येक पंचायत में बैंक की एक शाखा खोली जाए। इसके लिए राज्य सरकार पंचायत भवन में जगह देने को तैयार है। इन बुनियादी चीजों पर ध्यान देना होगा।
उन्होंने कहा कि बिहार चारों तरफ से भूमि से घिरा राज्य है। इस वजह से कई प्रकार की दिक्कतें होती हैं। वर्ष 2011 से ही हम कह रहे कि ओडिशा में हमें अलग से एक बंदरगाह उपलब्ध कराया जाए। इस प्रस्ताव को हमने पिछले 10 वर्षों में कई बार रखा है। इस पर ध्यान दिया जाए तो काफी सहूलियत होगी।