मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद बीजेपी आत्मविश्वास से लबरेज है। लोकसभा चुनाव के लिए नेता ‘अबकी बार, 400 पार’ का नारा दे रहे हैं। प्रदेश में सभी 29 सीटो को फतह करने का दावा किया जा रहा है, लेकिन राजनीतिक हलके में चर्चा है कि RSS के कथित सर्वे में बीजेपी आदिवासी बहुल कुछ लोकसभा सीटों पर कमजोर नजर आ रही है। इसी सर्वे के आधार पर दावा किया जा रहा है कि एसटी बहुल लोकसभा सीट धार, मंडला और रतलाम में बीजेपी की स्थिति अच्छी नहीं है। यहां जमीनी कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। दूसरा पार्टी के बड़े नेता अति आत्मविश्वास में हैं।
बीजेपी के लिए इसलिए भी खतरे की घंटी है क्योंकि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिलीं 66 सीटों में से 22 सीटें आदिवासी क्षेत्रों की हैं। मालवा और निमाड़ में सबसे ज्यादा 22 सीटें अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित थीं, उनमें से 11 सीटें कांग्रेस की झोली में आई हैं। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटों पर जीत के लिए काम कर रही है। यहां आदिवासी वर्ग को साधने का प्रयास किया जा रहा है। कांग्रेस नेता सर्वे को अपना बता रहे हैं। साथ ही दावा कर रहे हैं कि कांग्रेस के सर्वे में पूरे प्रदेश में बीजेपी की हालत पतली है। बीजेपी के शासन में चारों ओर आर्थिक और सामाजिक बदहाली है। संघ के सर्वे झूठे होते हैं। दूसरी ओर बीजेपी का कहना है कि संघ एक सामाजिक संगठन है, उसका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है। संघ चुनाव को लेकर कोई सर्वे नहीं करवाता है। बीजेपी सर्वे वाली पार्टी नहीं है, बल्कि अपने कार्यकर्ताओं से चर्चा करके सर्व करती है। सर्वे वाली कांग्रेस अब विलुप्त हो चुकी है।