कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) से जुड़े लगभग छह करोड़ कर्मचारियों को वित्तीय वर्ष 2022-23 में पीएफ जमा पर बढ़ी हुई ब्याज दर मिलेगी। संगठन के केंद्रीय न्यासी बोर्ड की दो दिवसीय बैठक में ब्याज दर में 0.05 प्रतिशत वृद्धि की अनुशंसा की गई है। अब वित्त मंत्रालय की स्वीकृति के बाद पीएफ ग्राहकों के खातों में ब्याज का पैसा 8.15 प्रतिशत की दर से जमा किया जाएगा। वर्ष 2021-22 में ब्याज दर 8.10 प्रतिशत थी। यह चार दशकों की न्यूनतम दर थी। न्यासी बोर्ड की अध्यक्षता केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री भूपेंद्र यादव ने की।
ईपीएफओ न्यासी बोर्ड की दो दिवसीय बैठक शुरू होने के साथ ही यह संभावना जताई जा रही थी कि इस वर्ष ब्याज दर में कुछ वृद्धि हो सकती है। इसकी एक वजह यह थी कि पिछले एक वर्ष में बैंकों ने कर्ज को महंगा करने के साथ ही स्थायी जमा दरों में भी बढ़ोतरी की है। वर्तमान में अधिकांश बैंक स्थायी जमा योजनाओं में साढ़े सात से लेकर आठ प्रतिशत तक ब्यार दर दे रहे हैं। हालांकि ईपीएफओ की ओर से तर्क दिया जा रहा था कि इस समय विश्व की अर्थव्यवस्था कठोर चुनौतियों से जूझ रही है और ऐसे में ब्याज दरों में बढ़ोतरी का फैसला अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल असर डाल सकता है।
बोर्ड के मुताबिक अन्य विकसित देशों की तुलना में भारत में ब्याज दर कहीं अधिक है। अमेरिका के फेडरल इंप्लाइज रिटायरमेंट सिस्टम के पेंशन प्लान में 1-1.1 प्रतिशत तो सिविल सर्विस रिटायरमेंट सिस्टम पेंशन प्लान में दो प्रतिशत ब्याज दिया जा रहा है। इसी तरह ब्रिटेन में जो चार प्रतिशत ब्याज अभी दिया जा रहा है, वह वहां दो दशक का उच्चतम है। कनाडा के पेंशन प्लान में वर्ष 2022 में 6.9 प्रतिशत तो आस्ट्रेलिया में 1-3 प्रतिशत है।
बोर्ड की तरफ से यह भी दावा किया गया कि पीएफ के लिए तय किया गया 8.15 प्रतिशत ब्याज भारतीय बैंकों द्वारा सावधि जमा (फिक्स्ड डिपाजिट) पर दिए जा रहे ब्याज से अधिक है। हालांकि इस सबके बावजूद ब्याज दर में बढ़ोतरी के पीछे यह तर्क दिया गया कि ईपीएफओ अपने कार्पस की 15 प्रतिश्ात रकम एक्सचेंज ट्रेडेड फंड में निवेश करता है, जो कि एनएसई निफ्टी 50 और बीएसई सेंसेक्स से लिक है। इससे संगठन को अच्छा रिटर्न मिला है।
ब्याज के तौर पर किया जाएगा 90,000 करोड़ रुपये से अधिक का वितरण
ईपीएफओ के मुताबिक लगभग 11 लाख करोड़ रुपये की कुल मूल राशि पर सदस्यों के खाते में 90,000 करोड़ रुपये से अधिक का वितरण ब्याज के रूप में किया जाएगा। यह वित्त वर्ष 2021-22 में क्रमश: 9.56 लाख करोड़ रुपये और 77,424.84 करोड़ रुपये था। पिछले वित्त वर्ष की तुलना में आय में 16 प्रतिशत तो और मूल राशि में 15 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है।
दस वर्ष की ब्याज दर का आंकड़ा
2012-13- 8.50 प्रतिशत
2013-14- 8.75 प्रतिशत
2014-15- 8.75 प्रतिशत
2015-16- 8.80 प्रतिशत
2016-17- 8.65 प्रतिशत
2017-18- 8.55 प्रतिशत
2018-19- 8.65 प्रतिशत
2019-20- 8.50 प्रतिशत
2020-21- 8.50 प्रतिशत
2021-22- 8.10 प्रतिशत