केलांग/उदयपुर। पहाड़ों पर भूस्खलन की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। आए दिन कहीं न कहीं बड़े हादसों में लोगों की जान जा रही है। दो दिन पहले किन्नौर में भूस्खलन की चपेट में आने से १६ लोगों की मौत हो गई थी वहींं अब हिमाचल में पहाड़ टूट पड़ा।हिमाचल प्रदेश के जनजातीय क्षेत्रों के लिए इस बार बरसात आफत बन गई है। सूबे के अब जनजातीय जिला लाहौल-स्पीति के उदयपुर उपमंडल के नालडा के सामने पहाड़ी का एक बड़ा हिस्सा टूटकर चंद्रभागा नदी में गिर गया है। जिससे नदी का बहाव रुक गया और क्षेत्र के कई गांवों को खतरा पैदा हो गया है। चंद्रभागा नदी का बहाव रुकने से जूंडा, तडंग और जसरथ गांव की सैकड़ों बीघा जमीन फसल के साथ जलमग्न हो गई है। जसरथ और तंडग गांव के लोग अपनी जान बचाने के लिए घर छोड़कर भागे। स्थिति अभी भी सामान्य नहीं हुई है। जसरथ गांव अभी भी खतरे की जद में है। जसरथ पुल के एक छोर तक पानी पहुंच गया है। सुबह के समय पहाड़ी से भूस्खलन के बाद लोगों में हड़कंप मच गया। पानी का बहाव रूकने के बाद जिस तरह से स्थिति बनी हुई है। अगर यह पानी का रूकाव अचानक टूट गया तो लाहौल के कई गांवों के साथ पुलों को खतरा हो सकता है। इधर स्थिति को देखते हुए तकनीकी शिक्षा मंत्री डॉ. राम लाल मारकंडा शिमला में मुख्यमंत्री से मिलने पहुंचे हैं। पुलिस अधीक्षक लाहौल-स्पीति मानव वर्मा ने घाटी के सभी प्रधानों से ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर जाने को कहा है। गुरुवार को किन्नौर में नेशनल हाईवे-5 पर निगुलसेरी के समीप भूस्खलन हो गया था, जिसमें अभी तक राहत एवं बचाव कार्य चल रहा है। भयावह भूस्खलन के तीसरे दिन शुक्रवार को रेस्क्यू टीमों ने मलबे से दो ओर लोगों के शवों को निकाला है। मरने वालों की संख्या 16 पहुंच गई है। गुरुवार को हादसे के करीब 20 घंटों बाद हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) बस के कुछ टुकड़े और टायरों को भी खोज निकाला गया था। हालांकि, बस में सवार यात्रियों में से 14 अब भी लापता हैं।