कोरोनारोधी टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (एनटागी) की स्थायी तकनीकी उपसमिति (एसटीएससी) ने दूसरी डोज और सतर्कता डोज के बीच मौजूदा नौ महीने के अंतराल को घटाकर छह महीने करने की सिफारिश की।
सूत्रों ने बताया कि अब इस पर स्वास्थ्य मंत्रालय जल्द ही फैसला करेगा। गुरुवार को हुई सरकार की सलाहकार समिति एनटागी की बैठक में बूस्टर डोज को लेकर वेल्लोर स्थित क्रिश्चियन मेडिकल कालेज (सीएमसी) के अध्ययन के निष्कर्षों की भी समीक्षा की गई। यह अध्ययन प्रारंभिक वैक्सीन लेने वालों को बूस्टर डोज के रूप में दूसरी वैक्सीन लगाने की संभावना पर है।
समिति ने अध्ययन के निष्कर्षों में समानता के अभाव में अभी इसकी सिफारिश नहीं करने का फैसला किया। सीएमसी ने कोवैक्सीन और कोविशील्ड के मिश्रण को लेकर अध्ययन किया था।एसटीएससी ने छह से 12 साल के बच्चों के लिए कोवैक्सीन और कोर्बेवैक्स के आंकड़ों की भी समीक्षा की। यह पाया गया कि अभी बच्चों में संक्रमण और मृत्युदर बहुत कम है। इसलिए 12 साल से कम आयु के बच्चों के टीकाकरण को लेकर जल्दी में फैसला लेने की जरूरत नहीं है।
भारत के दवा महानियंत्रक (डीसीजीआइ) ने अप्रैल में ही इन दोनों वैक्सीन को बच्चों के लिए मंजूरी दे दी थी। सूत्रों ने बताया कि एसटीएससी के सदस्यों ने इस बात पर सहमति जताई कि गुर्दा प्रत्यारोपण कराने वाले मरीजों को सतर्कता डोज से पहले वैक्सीन की तीसरी डोज लगाई जानी चाहिए।
बैठक में मंकीपाक्स और उसके लिए वैक्सीन की जरूरत पर चर्चा की गई। सदस्यों का मानना था कि अभी इस पर सघन निगरानी रखने की जरूरत है, क्योंकि अभी देश्ा में इसका कोई मामला नहीं मिला है।