छत्तीसगढ़ की मंडियों में राज्य सरकार ने 12 जुलाई से पुनः मंडी टैक्स लागू कर दिया है। 5.20 प्रतिशत की दर से लगाए गए टैक्स को मनमाना बताते हुए भाजपा किसान मोर्चा ने विरोध किया। प्रदर्शनकारी किसान राज्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए कलेक्टोरेट पहुंचे और ज्ञापन सौंपकर किसान विरोधी और तुगलकी निर्णय को तत्काल वापस लिए जाने की मांग की।
भारतीय जनता पार्टी किसान मोर्चा के जिला अध्यक्ष ने कहा कि यहां टैक्स का बोझ किसानों को वहन करना पड़ रहा है। इस टैक्स ने विशेषकर धान की कीमतों को बुरी तरह प्रभावित किया है। धान की कीमत करीब 200 रुपया प्रति क्विंटल तक गिर जाएगी। इसका असर किसानों की जेब पर पड़ेगा। इस टैक्स को किसानहित पर कुठारपात बताते हुए किसान विरोधी और तुगलकी निर्णय को तत्काल वापस लिए जाने की मांग की।
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की मंडियों से मंडी टैक्स समाप्त कर इसे 12 जुलाई 2003 की पूर्व स्थिति में लाया जाए। साथ ही चेतावनी दी कि अगर इस मनमाने टैक्स को किसानों के ऊपर जबरन थोपा गया तो किसान अपनी मांगें पूरी करवाने के लिए अनिश्चितकालीन आंदोलन करने पर विवश होंगे। किसान मोर्चा ने आरोप लगाया कि सरकार किसानों से 2 रुपये में गोबर खरीद कर उसमें धूल मिट्टी ककड़ सहित वर्मी कंपोस्ट मिलाकर अमानक खाद को 10 रुपये प्रति किलो में किसानों को जबरन बेच रही है। इसकी बाध्यता समाप्त की जाये। साथ ही सरकार 48 हजार किसानों का ट्यूबवेल के स्थायी बिजली कनेक्शन को रोक रखा है, जिसे तत्काल दिया जाए।