झारखंड के दुमका में मुस्लिम युवक द्वारा पेट्रोल छिड़ककर नाबालिग छात्रा अंकिता को जलाकर मार डालने की घटना से पूरे प्रदेश में आक्रोश है। राज्यपाल रमेश बैस ने इस घटना को दुखद बताते हुए पूरे मामले पर डीजीपी से रिपोर्ट मांगी है। मामले में अनुमंडल पुलिस अधिकारी नूर मुस्तफा की भूमिका भी काफी संदिग्ध है। इसके बाद राज्यपाल ने स्थानीय पुलिस की भूमिका की भी जांच करने का आदेश दिया है।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी इस मुद्दे पर एक्शन में आए। उन्होंने अंकिता के परिवार को सुरक्षा उपलब्ध कराने तथा तत्काल 10 लाख रुपये की सहायता राशि उपलब्ध कराने का आदेश दिया। मुख्यमंत्री के आदेश के बाद अंकिता के परिजन को 10 लाख रुपये का चेक सौंपा गया। मुख्यमंत्री ने इस घटना की जांच गंभीरता से करने व फास्ट ट्रैक कोर्ट से इसका निष्पादन कराने का आदेश दिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसी घटना का समाज में कोई स्थान नहीं है। दोषी को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए।
डीजीपी ने कहा कि मामले का स्पीडी ट्रायल कर दोषी को शीघ्र सजा दिलाई जाएगी। वहीं इस हत्याकांड के खिलाफ दुमका बंद रहा। राज्य के अन्य हिस्से में भी विरोध-प्रदर्शन हुए। मामले के दूसरे आरोपित छोटू उर्फ नईम को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। शाहरुख हुसैन ने 23 अगस्त सुबह अपने कमरे में सो रही अंकिता को खिड़की के सहारे पेट्रोल छिड़ककर आग के हवाले कर दिया था। अस्पताल में इलाजरत अंकिता की मौत हो गई थी।
घटना राज्य के लिए शर्मनाक
राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि इस प्रकार की जघन्य व पीड़ादायी घटना राज्य के लिए श्ार्मनाक है। उन्होंने पुलिस महानिदेशक नीरज सिन्हा से फोन पर बात कर अंकिता की मौत के मामले में स्थानीय पुलिस की भूमिका की जांच करने का आदेश दिया। साथ ही उन्होंने इस घटना की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में करने की बात कही। राज्यपाल ने कहा कि ऐसी घटनाओं से राज्य की छवि पर विपरीत असर पड़ता है। प्रदेश की जनता घर, दुकान, माल, सड़क कहीं भी सुरक्षित महसूस नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि राज्य की विधि-व्यवस्था को दुरुस्त करने का निर्देश दिया गया था लेकिन इसका कोई सकारात्मक परिणाम नहीं दिख रहा है। एक लड़की जिसने अभी पूरी दुनिया भी नहीं देखी थी, उसका इस प्रकार से अंत बहुत ही पीड़ादायक है।
आरोपित का बचाव कर रहे एसडीपीओ मुस्तफा
अंकिता की मौत के बाद दुमका के अनुमंडल पुलिस अधिकारी (एसडीपीओ) नूर मुस्तफा की मामले में कार्यशैली को लेकर भी लोगों में आक्रोश है। इंटरनेट मीडिया पर भी गोड्डा के सांसद निशिकांत दुबे, देवघर के विधायक नारायण दास समेत तमाम भाजपा नेता उक्त अधिकारी को हटाने की मांग करते रहे। नूर मुस्तफा पर आरोप है कि वह हत्या के आरोपित मुस्लिम युवक का बचाव कर रहे हैं। प्राथमिकी में पीड़िता की उम्र 16 की बजाय 19 वर्ष लिख दिए जाने पर भी लोग सवाल उठा रहे हैं। विरोध करने वाले लोग एक पुराने मामले का भी जिक्र कर रहे हैं, जिसमें नूर मुस्तफा ने हत्या के आरोपित को बचाने के लिए 90 दिनों के भीतर चार्जशीट नहीं दाखिल की। इसके बाद आरोपित को जमानत मिल गई थी।