
राजनांदगांव, 6 फरवरी – केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में आचार्य विद्यासागर महाराज के प्रथम समाधि स्मृति महोत्सव में भाग लिया। इस अवसर पर उन्होंने श्री 1008 सिद्धचक्र विधान विश्व शांति महायज्ञ में भी सहभागिता की। कार्यक्रम के दौरान गृह मंत्री ने ₹100 का स्मारक सिक्का, डाक विभाग का ₹5 का विशेष लिफाफा, 108 चरण चिन्हों व चित्र का लोकार्पण किया और प्रस्तावित समाधि स्मारक ‘विद्यायतन’ का शिलान्यास किया।
इस मौके पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, उप-मुख्यमंत्री विजय शर्मा, पूज्य मुनि समता सागर सहित कई गणमान्य उपस्थित रहे।
आचार्य विद्यासागर: भारतीय संस्कृति के प्रतीक
गृह मंत्री अमित शाह ने अपने संबोधन में कहा कि आचार्य विद्यासागर एक युग पुरुष थे, जिन्होंने भारतीय संस्कृति, भाषा और परंपराओं को संरक्षित और प्रचारित किया। उन्होंने कहा कि आचार्य का संपूर्ण जीवन धर्म, संस्कृति और राष्ट्र को समर्पित रहा।
शाह ने कहा कि आचार्य विद्यासागर भारतीय भाषाओं के संवर्धन और ‘इंडिया’ के बजाय ‘भारत’ नाम से देश की पहचान स्थापित करने पर विशेष जोर देते थे। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जी-20 सम्मेलन के निमंत्रण पत्र पर ‘प्राइम मिनिस्टर ऑफ भारत’ लिखवाने को आचार्य के विचारों की मूर्त रूप में स्थापना बताया।
विद्यायतन स्मारक और सामाजिक योगदान
शाह ने कहा कि आचार्य विद्यासागर के योगदान को सम्मान देने के लिए ‘विद्यायतन’ स्मारक का निर्माण किया जाएगा, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए उनके सिद्धांतों और विचारों का केंद्र बनेगा। साथ ही, मध्य प्रदेश के डिंडोरी जिले में नि:शुल्क कन्या विद्यालय का शिलान्यास किया गया, जहां मातृभाषा में शिक्षा और कौशल विकास पर जोर दिया जाएगा।
आचार्य का आध्यात्मिक और दार्शनिक योगदान
अमित शाह ने कहा कि आचार्य विद्यासागर ने न केवल जैन धर्म के अनुयायियों बल्कि अन्य समुदायों को भी आध्यात्मिक मार्ग दिखाया। उन्होंने ‘अहिंसा परमो धर्म:’ की आधुनिक व्याख्या कर इसे विश्वभर में स्थापित किया। उनके द्वारा रचित महाकाव्य ‘मूकमाटी’ भारतीय दर्शन, नीति और राष्ट्र प्रेम का अनमोल ग्रंथ है, जिसे कई भाषाओं में अनुवादित किया गया है।
भारतीय संत परंपरा का गौरवशाली इतिहास
गृह मंत्री ने कहा कि भारत की संत परंपरा सदैव राष्ट्र को दिशा देने वाली रही है। विद्यासागर महाराज ने अपने कर्मों से यह सिद्ध किया कि सच्ची पहचान संस्कृति और भाषा के संरक्षण में है। उन्होंने उत्तर से दक्षिण और पूरब से पश्चिम तक पदयात्रा कर त्याग और तपस्या का संदेश दिया।
प्रधानमंत्री और आचार्य के विचारों की समानता
अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आचार्य विद्यासागर के बीच आत्मीय संवाद था। मोदी सरकार ‘वसुधैव कुटुंबकम’ और ‘अहिंसा परमो धर्म:’ के सिद्धांतों को बढ़ावा दे रही है, जो आचार्य विद्यासागर के विचारों से मेल खाता है।
अंत में शाह ने कहा कि आचार्य का स्मृति महोत्सव केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि उनके विचारों और शिक्षाओं को आगे बढ़ाने का संकल्प है।