अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के शताब्दी समारोह का आयोजन मंगलवार को किया गया। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिस्सा लिया और एक खास डाक टिकट जारी किया। इस मौके पर अपने संबोधन में प्रधानमंत्री विद्याथियों को कई मंत्र भी दिए। उन्होंने कहा कि जो भी देश का है वह हर देशवासी का है और संविधान में नागरिकों के लिए जो अधिकार हैं, वह हर किसी को मिले हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि एएमयू की दीवारों में देश का इतिहास है। यहां से पढ़ने वाले छात्र दुनिया में देश का नाम रोशन कर रहे हैं। यहां से पढकर निकले छात्रों से कई बार विदेश में उनकी मुलाकात हुई, जो हमेशा हंसी-मजाक और शेर-ओ-शायरी के अंदाज में खोए रहते हैं। उन्होंने कहा कि एएमयू ने लाखों युवाओं को तराशा है और एक नई सोच जगाई है। कोरोना काल में भी एएमयू ने समाज की मदद की, मुफ्त टेस्ट करवाए गए, प्लाज्मा बैंक बनवाया और पीएम केअर्स फंड में बड़ी राशि का योगदान भी दिया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि एएमयू के चांसलर ने उन्हें कुछ दिन पहले चिट्ठी लिख कोरोना वैक्सीन के मिशन के दौरान हरसंभव मदद का भरोसा दिया है। एएमयू में एक मिनी इंडिया है, यहां उर्दू-हिन्दी-अरबी-संस्कृत पढ़ाई जाती है। यहां की लाइब्रेरी में कुरान है तो गीता-रामायण के अनुवाद भी हैं। एएमयू में एक भारत-श्रेष्ठ भारत की अच्छी तस्वीर है। यहां इस्लाम को लेकर जो रिसर्च होती है, उससे भारत का इस्लामिक देशों से संबंध अच्छा होता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सर सैयद का संदेश कहता है कि हर किसी की सेवा करें, चाहे उसका धर्म या जाति कुछ भी हो। ऐसे ही देश की हर समृद्धि के लिए उसका हर स्तर पर विकास होना जरूरी है। आज हर नागरिक को बिना किसी भेदभाव के विकास का लाभ मिल रहा है। नागरिक संविधान से मिले अधिकारों को लेकर निश्चिंत रहे, सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास ही सबसे बड़ा मंत्र है। इसलिए जो देश का है, वह हर देशवासी है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कुछ समय पहले एएमयू के एक पूर्व छात्र ने उनको बताया कि कभी मुस्लिम बेटियों का स्कूल से ड्रॉप आउट रेट 70 फीसदी से अधिक था। कई दशकों से ऐसी ही स्थिति थी, लेकिन स्वच्छ भारत मिशन के बाद अब घटकर 30 फीसदी तक रह गया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि समाज में वैचारिक मतभेद होते हैं, लेकिन जब बात राष्ट्र के लक्ष्य के प्राप्ति की हो तो सभी मतभेद को किनारे रख देने चाहिए। देश में कोई किसी भी जाति या मजहब का हो, उसे देश को आत्मनिर्भर बनाने की ओर योगदान देना चाहिए। एएमयू से कई सेनानी निकले हैं, जिन्होंने अपने विचारों से हटकर देश के लिए जंग लड़ी। उन्होंने कहा कि सियासत सिर्फ समाज का एक हिस्सा है, लेकिन सियासत-सत्ता से अलग देश का समाज होता है। ऐसे में देश के समाज को बढ़ाने के लिए हमें काम करते रहना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जब हम एक लक्ष्य के साथ आगे बढ़ेंगे, तो कुछ तत्व ऐसे होते हैं जिन्हें इससे दिक्कत होगी। वे तत्व हर समाज में हैं, लेकिन हमें इन सबसे आगे बढ़कर देश के लिए काम करना चाहिए। पिछली शताब्दी में मतभेदों के नाम पर काफी वक्त जाया हो गया है, लेकिन अब वक्त ना गंवाते हुए नये भारत, आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को पूरा करना है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि एएमयू में भी अब 35 फीसदी तक मुस्लिम बेटियां पढ़ रही हैं। इसकी फाउंडर चांसलर की जिम्मेदारी बेगम सुल्तान ने संभाली थी। अगर महिला शिक्षित होती है, तो पूरी पीढ़ी शिक्षित हो जाती है। उन्होंने कहा कि आज हमारी सरकार ने तीन तलाक से पीड़ित महिलाओं की मदद करने का फैसला लिया। उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भविष्य को ध्यान रखा गया है, नेशन फर्स्ट की भावना रखी गई है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि एएमयू के सौ साल पूरे हो रहे हैं, ऐसे में सौ हॉस्टल के छात्र कुछ रिसर्च करें। आजादी के 75 साल पूरे होने के मौके पर ऐसे स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में रिसर्च करें, जिनके बारे में अबतक काफी कम लोग जानते हैं। इनमें 75 आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी, 25 महिला स्वतंत्रता सेनानी के बारे में जानकारी इकट्ठा करें। साथ ही पुरानी पांडुलिपी को डिजिटल क्षेत्र के जरिए दुनिया के सामने लाएं।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संदेश में कहा कि 1920 में तब के युवाओं ने एक लक्ष्य रखा, तो 1947 में देश आजाद हुआ। 2020 से 2047 तक का वक्त अब काफी अहम है, क्योंकि देश अपनी आजादी के सौ साल पूरा करेगा।