यूक्रेन मेें आसमान से आफत बरसती रही। तबाही के मंजर के बीच खौफजदा चेहरे मुश्किल बयां कर रहे हैैं, जता रहे हैैं कि आजादी की घड़ियां सिमट रही हैैं। राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की भी कह रहे हैैं कि उनकी सेनाएं चार दिन तक ही राजधानी कीव को बचा पाएंगी, क्योंकि कब्जे की लड़ाई उसके नजदीक आ गई है। उन्होंंने खुद को रूस का पहला निशाना भी बताया है। कीव का गोस्तामेल हवाई अड्डा रूसी सैनिकों के कब्जे में आ गया है। अभी तक की लड़ाई में यूक्रेन के कुल 137 लोग मारे गए हैैं और करीब 300 घायल हुए हैैं, इनमें सैनिक भी शामिल हैैं। यूक्रेन का दावा रूस के 800 सैनिकों को मारने का है जिसे रूसी रक्षा मंत्रालय ने गलत करार दिया है। जेलेंस्की दुनिया से मदद की गुहार लगा रहे हैैं। जवाब में अमेरिका, यूरोपीय यूनियन और नाटो रूस की निंदा कर रहे हैैं। उस पर आर्थिक प्रतिबंधों की घोषणा कर रहे हैैं। रूस ने कहा है कि इन प्रतिबंधों से निपट लिया जाएगा। इस बीच जेलेंस्की का वार्ता का प्रस्ताव रूस द्वारा स्वीकार किए जाने की खबर है लेकिन संघर्षविराम को लेकर कोई घोषणा नहीं हुई है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन गुरुवार रात प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति श्ाी चिनफिंग से फोन पर वार्ता के बाद यूक्रेन से वार्ता के लिए तैयार हुए हैैं।
रूसी सेना के हमलों से बचने के लिए दसियों हजार लोग भूमिगत मेट्रो टनल और मेट्रो स्टेशनों में जा दुबके हैैं। पड़ोसी देश पोलैैंड और रोमानिया जाने वालों की लाइन लगी हुई हैैं। यूक्रेन सरकार ने लोगों का पलायन रोकने के लिए कीव में कर्फ्यू भी लगाया लेकिन उसका भी खास असर नहीं हुआ। अब 18 से 60 साल के लोगों के देश छोड़ने पर प्रतिबंध लगाया गया है। कहा गया है कि सरकार की तरफ से उन्हें राइफल दी जाएंगी जिनसे रूसी सैनिकों का मुकाबला करना है। अभी तक के हमलों में रूसी सेना ने यूक्रेन के रक्षा मंत्रालय की इमारत समेत सैन्य प्रतिष्ठानों, आधारभूत ढांचे और बिजलीघरों आदि को निशाना बनाया है। इस दौरान कुछ नागरिक ठिकानों पर भी बम गिरे हैैं लेकिन उनमें बड़ी जनहानि की सूचना नहीं है। रूसी हमलों से टक्कर लेने के लिए यूक्रेन ने अपनी पूरी सेना उतार दी है। वह अमेरिका और ब्रिटेन से मिली हल्की मिसाइलों से रूसी विमानों और टैैंकों को निश्ााना बना रही है। ब्रिटेन ने यूक्रेन में 450 रूसी सैनिक मारे जाने का दावा किया है और कहा है कि रूसी सेना अपनी योजनानुसार पहले दिन लक्ष्यों को पूरा नहीं कर पाई। इस बीच पोलैैंड के रास्ते ब्रिटेन ने कुछ सैन्य सामग्री यूक्रेन भेजी है। ब्रिटेन ने यूक्रेन को पहले भी सैन्य सहायता दी है।
रूस के तेज हमलों से यूक्रेन की व्यवस्थाएं ढह गई हैैं। हमलों के भय से ज्यादातर बाजार बंद हैैं जिसके कारण खाने-पीने के सामान की किल्लत पैदा हो गई है। रूस के साइबर हमलों से बैैंकों का कामकाज भी ठप हो गया है। इसके चलते एटीएम से लोगों को करेंसी नहीं मिल पा रही है। कमोबेश यही हाल बिजली आपूर्ति का है। बिजलीघरों के निशाना बनाए जाने से कई इलाकों में अंधेरा छा गया है। संचार सुविधाएं और आवागमन की सार्वजनिक सुविधाएं भी चरमरा गई हैैं। भीषण ठंड से बचने के लिए लोग सुरक्षित स्थान और छत तलाश रहे हैैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने फिर कहा कि उनका यूक्रेन के युद्ध में सैनिक भेजने का कोई इरादा नहीं है। लेकिन रूस के नजदीक स्थित नाटो के सदस्य देशों-पोलैैंड, रोमानिया, हंगरी और बाल्कन देशों में सैन्य तैनाती बढ़ाई जा रही है। अगर रूस नाटो देशों पर हमला करता है तो अमेरिका भी युद्ध में शामिल होकर उसे कड़ा जवाब देगा। बाइडन ने कहा, नाटो एकजुट है और किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार है। यूक्रेन में रूस लंबी लड़ाई में फंस गया है।