देश की अधिकांश अदालतों में सर्वाधिक मुकदमें गांवों से आते हैं। ऐसे में देश में शायद ही ऐसा कोई गांव होगा, जो मुकदमेबाजी से बचा हो। मगर देश में एक गांव ऐसा भी है, जहां आजादी के बाद से अब तक एक भी केस या मुकद्दमा दर्ज नहीं हुआ है। ऐसा नहीं है कि इस गांव में झगड़ा-लड़ाई या विवाद नहीं होता। यानी होता सब कुछ है, लेकिन यहां के लोग समस्याओं को मिल बैठ कर सुलझा लेते हैं। यह गांव है बिहार में।
बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के नरकटियागंज अनुमंडल के गौनाहा प्रखंड के सहोदरा थाने का कटराव गांव है। गांधी जी आज भी यहां के लोगों के लिए पूजनीय हैं। उनके आदर्शों पर चलते हैं। अहिंसा यहां के लोगों का सबसे बड़ा हथियार है। गांधी के चंपारण आगमन व सत्याग्रह का यहां आज भी प्रभाव देखने को मिलता है। इस गांव आजादी के बाद से आज तक ताश और जुए का खेल तक नहीं खेला गया है। गांव के लोग इसे गलत मानते हैं। इसके दुष्परिणाम को देखते हुए गांव के लोगों ने ही जुए व ताश के खेल को सर्वसम्मति से बैन कर रखा है। समय काटने व मनोरंजन के लिए लोग भजन व कीर्तन करते हैं।
सहोदरा थानाध्यक्ष अशोक साह बताते हैं कि कटराव गांव का एक भी केस थाने में दर्ज नहीं है। जमुनिया पंचायत के मुखिया सुनील गढ़वाल कहते हैं कि गांव में थारूओं की आबादी अधिक है। ये लोग मेरे (मुखिया) या सरपंच के पास किसी भी विवाद को लेकर नहीं जाते हैं। खुद ही आपस में मिल-बैठकर विवाद या समस्या का निपटारा कर लेते हैं। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि महिलाओं से संबंधित मामले महिलाएं ही निपटाती हैं।