रायपुर। 15 साल की ऋतु को देखकर आप या अनुमान नहीं लगा पाएंगे कि वह अकेले कई लोगों का मुकाबला करने में सक्षम है।अपनी सुरक्षा के लिए उसे किसी की जरूरत नहीं, बल्कि वह खुद सक्षम है। आज राष्ट्रीय बालिका दिवस पर हम जानते हैं इस चैंपियन के बारे में जो अपनी और अपने से जुड़ी तमाम लड़कियों की सुरक्षा के बारे में सोचती हैं। ऋतु न सिर्फ स्टेट बल्कि नेशनल लेवल पर भी कराटे खेल कर लोगों को पछाड़ चुकी हैं।
शौकिया तौर पर कराटे सीखने पहुंची ऋतु ने कभी नहीं सोचा था कि कराटे ही उसकी पहचान बन जाएगा। अब हर कोई उसे कराटे चैंपियन की नजर से देखता है। ऋतु के परिवार में उसकी पांच बहनों और तीन भाई हैं। माता पिता को आज गर्व महसूस होता है कि उनकी बेटी की पहचान सिर्फ राज्य में ही नहीं बल्कि पूरे देश में बनती जा रही है।
कैसे हुई सीखने की शुरुवात
कराटे सीखने की शुरुआत भाई के जरिए हुई। ऋतु का भाई कराटे सीखने जाता था, उसे यह महसूस हुआ कि बढ़ते अपराध को देखते हुए बहनों का कराटे सीखना ज्यादा जरूरी है। यह सोचकर ही वह रितु को कराटे सीखने के लिए प्रेरित किया। 8 साल की उम्र से रितु ने कराटे सीखना शुरू कर दिया। अपनी इस सफलता का श्रेय वह अपनी गुरु हर्षा साहू को देती है। वह कहती हैं कि आज जो भी हो गए हैं वह सिर्फ एक अच्छे गुरु मिलने के कारण और आगे चलकर वह भी हर लड़की को कराटे सिखाना चाहती जिससे लड़कियों के साथ होने वाले अपराध और बुरी चीजों को रोका जा सके। आज के समय में युवतियों का लड़कियों का और महिलाओं का सुरक्षित रहना बहुत बड़ा चेंज हो गया लेकिन अगर हर लड़की सेल्फ डिफेंस सीख लें तो यह चीज आसान हो सकती है।
लड़का डर कर भाग था
ऋतु के साथ एक बार एक वाक्य हुआ जो शायद हर लड़की के साथ कभी ना कभी हुआ होगा। रास्ते चलते हुए उसे एक लड़के ने परेशान किया जिसका जवाब रितु ने बिना डरे पूरे आत्मविश्वास के साथ दिया और जवाब पर उसने उसकी अच्छे से पिटाई कर दी। अपनी हालत को देखते हुए लड़का बिना एक पल रुके वहां से भाग गया। रितु का कहना है कि हम छोटी-छोटी चीजों को सीख कर भी अपनी रक्षा खुद कर सकते हैं। मैं खाली वक्त में अपनी बड़ी दीदी लोगों को भी सेल्फ डिफेंस करने के तरीके सिखाती हूं जिससे उन्हें अकेले आने जाने पर किसी भी तरह की तकलीफ ना हो और वह सुरक्षित रह सके।
सुकून मिलता है बच्चों को आगे बढ़ता देखकर
छोटे बच्चों को देखकर बड़ा अच्छा लगता है जब वह अपनी सुरक्षा का जिम्मा खुद लेते हैं यह कहना है कराटे चैंपियन हर्षा साहू का। वह बताती हैं कि ऋतु में पहले दिन से ही आगे बढ़ने की ललक दिखाई देती थी और एक कोच होने के नाते यह मेरी जिम्मेदारी थी कि मैं उसे आगे बढ़ा सकू। मैं चाहती हूं कि हर लड़की अपने आप को सुरक्षित रखने रखने के लिए खुद सक्षम हो।