कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा है कि वह ऐसे जीवनसाथी को प्राथमिकता देंगे जिसमें उनकी मां सोनिया गांधी और दादी इंदिरा गांधी दोनों के गुण हों। भारत जोड़ो यात्रा के दौरान एक यू-ट्यूब चैनल को दिए साक्षात्कार में राहुल गांधी ने अपनी दादी और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को अपनी दूसरी मां और अपने जीवन का प्यार करार दिया।
उन्होंने साइकिल चलाने के अपने शौक के बारे में भी बात की और इस क्रम में उन्होंने साइकिलें व इलेक्ट्रिक मोटर वाली माउंटेन बाइक बनाने वाली चीनी इलेक्ट्रिक कंपनी का जिक्र भी किया। उन्होंने कहा, “मैंने इलेक्ट्रिक स्कूटर चलाया है, लेकिन इलेक्ट्रिक बाइक कभी नहीं चलाई। क्या आपने यह चीनी कंपनी देखी है… उनकी साइकिलें और इलेक्ट्रिक मोटर वाली माउंटेन बाइक आती हैं। बहुत ही दिलचस्प संकल्पना है, वे अच्छी हैं।”
राहुल ने यह साक्षात्कार अपने टि्वटर हैंडल से शेयर किया है। इसमें उन्होंने यह भी बताया कि उनके पास अपनी कार नहीं है, लेकिन उनकी मां के पास एक सीआर-वी है। राहुल ने कहा, “मुझे वास्तव में कारों में दिलचस्पी नहीं रही है। मुझे मोटर बाइक में भी दिलचस्पी नहीं है। मैं कार को ठीक कर सकता हूं, लेकिन मुझे कारों का जुनून नहीं है। मुझे तेज चलना, हवा और पानी में मूव करना और जमीन पर चलना अच्छा लगता है।” पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि उन्हें आर-1 की अपेक्षा पुराना लंब्रेटा ज्यादा सुंदर लगता है और मोटरसाइकिल की अपेक्षा साइकिल चलाना पसंद है क्योंकि उसमें अपनी ताकत का इस्तेमाल होता है।
आलोचकों द्वारा उन्हें विभिन्न् नामों से बुलाए जाने पर राहुल ने कहा, “मैं परवाह नहीं करता। आप जो कहना चाहते हैं कहें, उससे कोई फर्क नहीं पड़ता। मैं किसी से नफरत नहीं करता। आप भले ही मुझे अपशब्द कहें या मारें, मैं आपसे नफरत नहीं करूंगा।” उन्हें “पप्पू” कहे जाने को राहुल ने दुष्प्रचार अभियान करार दिया और कहा कि जो उन्हें इस नाम से पुकारते हैं, वे ऐसा अपने अंदर के डर की वजह से करते हैं। उन्होंने कहा, “उसके जीवन में कुछ भी नहीं हो रहा है, वह दुखी है क्योंकि उसके जीवन में रिश्ते ठीक नहीं हैं। इसलिए वह किसी और को अपशब्द कह रहा है, कोई बात नहीं। मैं इसका स्वागत करता हूं, और अपशब्द कहिए। मुझे यह पसंद है। आप मुझे और नाम दे सकते हैं। मैं परवाह नहीं करता, मैं तनाव मुक्त हूं।”
भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की क्रांति के बारे में राहुल ने कहा, “मुझे नहीं लगता कि हम वह कर रहे हैं जो करने की जरूरत है। इलेक्ट्रिक वाहनों की क्रांति के लिए आधार की जरूरत है और हम इसमें कहीं नहीं हैं।” उन्होंने कहा कि बैटरियां और मोटरें बनाने का आधार हमारे पास नहीं है और इसका बुनियादी ढांचा भी नहीं है। इसे रणनीति बनाकर नहीं किया गया है और सब कुछ अस्थायी है। उन्हें वास्तव में समझ नहीं है कि यह कैसे किया जाना चाहिए। जब उनसे पूछा गया कि भारत ने कौन सी क्रांति का अवसर गवां दिया है तो उनका जवाब था, ड्रोन क्रांति।