उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में होली के अवसर पर निकलने वाले लाट साहब के जुलूस को लेकर प्रशासन और पुलिस ने तैयारी शुरू कर दी है। यह जुलूस शाहजहांपुर के मुख्य बाजार से निकाला जाता है, इसलिए उस रास्ते में पड़ने वाले धार्मिक स्थलों को ढक दिया गया है। दरअसल 1746-47 में शाहजहांपुर के नवाब अब्दुल्ला खां अपने रंगमहल में होली खेलते थे और जुलूस भी निकाला जाता था। कुछ साल बाद यह परंपरा थम गई थी। बाद में 1930 से दोबारा शुरू हो गई।
शाहजहांपुर में निकाले जाने वाले इस जुलूस का स्वरूप धीरे-धीरे बदलता गया। इसमें अंग्रेजों के प्रति गुस्सा भी जताया जाता था। आजादी के बाद यह जुलूस लाट साहब के नाम से निकाला जाने लगा। इसमें अंग्रेजों के प्रति आक्रोश जताने के लिए एक युवक को लाट साहब बनाकर भैंसे पर बैठाया जाता और जूतों की माला पहनाकर उसे चप्पल से पीटा जाता। यह परंपरा आज भी जारी है। इसमें बदलाव सिर्फ इतना हुआ कि भैंसे के बजाय अब भैंसागाड़ी पर लाट साहब को बैठाया जाता है। रंगों की बौछार भी खूब होती है।
आठ वर्ष पूर्व शहर के सराय काइयां मुहल्ले में होली के दिन किसी शरारती तत्व ने धार्मिक स्थल पर रंग डाल दिया था। इसके बाद तनाव हो गया। इसके बाद से पुलिस शहर के प्रमुख मार्गों पर पड़ने वाले धर्म स्थलों को पहले ही बड़ी पालीथिन या कपड़ों से ढकवा देती है। सुरक्षा के लिए दो कंपनी पीएसी और दो कंपनी रैपिड एक्शन फोर्स लगाई जा रही। बरेली जोन से 30 इंस्पेक्टर व पांच सीओ मांगे गए हैं।