म्यांमार में तख्तापलट के खिलाफ आंदोलन कर रहे लोकतंत्र समर्थकों पर सेना और पुलिस का दमन जारी है। देश के विभिन्न् शहरों में हुए विरोध-प्रदर्शन के दौरान जवानों ने फायरिंग करके 33 लोगों को मौत के घाट उतार दिया। हालांकि इस बीच आसियान देशों ने म्यांमार की सेना से विवाद का श्ंतिपूणर्ण समाधान निकालने की अपील की थी। मगर कार्रवाई इस बात का संकेत है कि प्रदर्शन को दबाने के लिए सेना किसी भी हद तक जा सकती है।
पुलिस ने मिंगग्यान शहर में एक किशोर को मौत के घाट उतारा है वहीं मोनवाया में पांच लोग उसकी गोली का शिकार हुए हैं। 30 लोग घायल भी हुए हैं। मरने वालों में चार पुरुष और एक महिला हैं। यंगून में भी एक व्यक्ति की गोली लगने से मौत हुई है। मांडले में छात्रों और शिक्षकों की रैली पर आंसू गैस छोड़ने के साथ गोलियां भी बरसाई गईं। इस रैली में एक हजार से अधिक लोग शामिल थे।
तख्तापलट के बाद से अब तक कम से कम 55 लोकतंत्र समर्थक आंदोलनकारियों को मौत के घाट उतारा जा चुका है। वहीं 300 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है। मरने वालों के आंकड़े जुटाने वाले एक स्वतंत्र संगठन ने बताया कि यह जानकारी विभिन्न् शहरों से निजी प्रयासों से जुटाई गई है। मरने वालों की संख्या ज्यादा भी हो सकती है।
इंटरनेट मीडिया पर चल रहे वीडियो में युवा एक-दूसरे का हाथ थामे ट्रक में चढ़ते दिखाई दे रहे हैं। जबकि पास में ही सेना और पुलिस के जवान खड़े हैं। लोकतंत्र समर्थक आंदोलनकारी एस्थर जे नाव ने कहा है कि मारे गए लोगों का आंदोलन बेकार नहीं जाएगा। हमारी लड़ाई जारी रहेगी और जीत सुनिश्चित है।
उधर, एक वकील ने कहा है कि म्यांमार की सेना ने अंतरराष्ट्रीय मीडिया एजेंसी के एक पत्रकार समेत मीडिया से जुड़े पांच अन्य लोगों के खिलाफ कानून के उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। अगर आरोप साबित हो जाता है तो इन्हें तीन वर्ष तक की कैद हो सकती है।