रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने रुपये को तेज उतार-चढ़ाव से बचाने के लिए चालू वित्त वर्ष के पहले छह महीनों के दौरान विदेशी मुद्रा बाजार में 33.42 अरब कीमत के डालर बेचे हैं। केंद्रीय बैंक विदेशी मुद्रा बाजारों की बारीकी से निगरानी करता है, लेकिन रुपये के किसी पूर्व निर्धारित लक्ष्य को तय करने में शामिल नहीं होता।
लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि डालर के मुकाबले भारतीय मुद्रा का सबसे निचला स्तर 20 अक्टूबर को दर्ज किया गया। उस समय एक डालर का मूल्य 83.20 रुपये के बराबर पहुंच गया था। उन्होंने कहा कि कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के साथ भू-राजनीतिक तनाव और दुनियभर में आक्रामक मौद्रिक नीति के सख्त होने से डालर 2022-23 (30 नवंबर, 2022 तक) में 7.8 प्रतिशत मजबूत हुआ। जबकि इसी अवधि में रुपये में 6.9 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई।
डालर के मुकाबले एशियाई देशों की मुद्रा में आई गिरावट की बात करें तो भारतीय मुद्रा का प्रदर्शन बेहतर रहा है। इस दौरान चीनी मुद्रा 10.6 प्रतिशत, इंडोनेशियाई रुपया 8.7 प्रतिशत, फिलीपींस पेसो 8.5 प्रतिशत, दक्षिण कोरियाई वान 8.1 प्रतिशत और ताइवानी डालर में 7.3 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। एक अन्य प्रश्न के उत्तर में वित्त मंत्री ने कहा कि गैर निष्पादित परिसंपत्तियों को राइट आफ के माध्यम से बैंकों की बैलेंस शीट से हटा दिया गया है, लेकिन बट्टे खाते में डाले गए ऋणों के कर्जदरों से बकाये वसूली की प्रक्रिया जारी है। उन्होंने कहा कि बैंकों के सकल एनपीए का 0.82 प्रतिशत (31 मार्च, 2022 तक) एजुकेशन लोन से संबंधित है।
60.13 लाख लोगों को मिला आत्मनिर्भर भारत योजना का लाभ
महामारी के दौरान रोजगार सृजित करने वाली आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना से 60.13 लाख लोग लाभान्वित हुए हैं। श्रम एवं रोजगार राज्यमंत्री रामेश्वर तेली ने लोकसभा में बताया कि लाभार्थियों के पंजीकरण की अंतिम तिथि 31 मार्च, 2022 थी। एक अक्टूबर, 2020 को इस योजना को लांच किया गया था, जिससे नियोक्ताओं को नए रोजगार सृजित करने और कोरोना महामारी के दौरान खोए हुए रोजगार को बहाल करने की प्रोत्साहित किया जा सके।
महंगाई पर आरबीआइ की रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं करेगी सरकार
सरकार ने आरबीआइ की उस रिपोर्ट को सार्वजनिक करने से इन्कार कर दिया है, जिसमें यह बताया गया है कि केंद्रीय बैंक लगातार तीन तिमाहियों के लिए तय किए गए छह प्रतिशत ऊपरी सीमा के भीतर मुद्रास्फीति क्यों नहीं रख सका। यह जानकारी सोमवार को वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने संसद में दी। जनवरी-सितंबर, 2022 के दौरान लगातार तीन तिमाहियों में औसत मुद्रास्फीति महंगाई लक्ष्य के ऊपरी सहनीय सीमा छह प्रतिश्ात से ऊपर थी। जनवरी से मार्च के दौरान औसत मुद्रास्फीति 6.3 प्रतिश्ात थी, अप्रैल से जून के दौरान यह 7.3 प्रतिश्ात थी। हालांकि सितंबर तिमाही के दौरान यह घटकर सात प्रतिश्ात पर आ गई थी। 2016 में मौद्रिक नीति ढांचे के लागू होने के बाद यह पहली बार था जब आरबीआइ को सरकार को स्पष्टीकरण देना पड़ा।