जमीयत उलेमा-ए-हिंद का तीन दिवसीय महाधिवेशन अंतिम दिन रविवार को विवादों का अखाड़ा बन गया। धार्मिक सद्भावना को लेकर आयोजित सम्मेलन में हिंदू व अन्य गैर-मुस्लिम धर्मगुरुओं की मंच पर मौजूदगी के दौरान जमीयत के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने “अल्लाह” और “ओम” को एक बता दिया। अधिवेशन के आयोजक जमीयत के प्रमुख महमूद मदनी ने एक दिन पहले जिन संघ प्रमुख मोहन भागवत को संवाद के लिए न्योता दिया था, उन पर भी अरशद मदनी ने गंभीर टिप्पणी कर दी।
विवाद इतना बढ़ा कि मदनी को शास्त्रार्थ की चुनौती देकर जैन धर्मगुरु लोकेश मुनि व अन्य धर्मगुरु मंच से उतर गए। महमूद मदनी ने मेहमान बताकर जैन मुनि को रोकने का प्रयास किया, लेकिन वह नहीं रुके। लोकेश मुनि ने दावा किया कि मंच से उतरते समय उन पर हमले की कोशिश की गई, लेकिन कुछ लोगों ने बचा लिया। जैन मुनि ने जब मंच से अरशद मदनी के बयान का विरोध किया, तब दर्शक दीर्घा से उनके खिलाफ नारे लगे थे।
रामलीला मैदान में जमीयत के तीन दिवसीय महाधिवेशन के आखिरी दिन धार्मिक सद्भावना सम्मेलन आयोजित किया गया। मंच पर मौलाना महमूद मदनी, जैन मुनि आचार्य लोकेश, परमार्थ निकेतन के प्रमुख स्वामी चिदानंद सरस्वती, सिख धर्मगुरु सरदार चंडोक सिह भी मौजूद थे। जमीयत के के प्रमुख अरशद मदनी ने तीखे तेवरों में कहा, “हम “आदम” की औलाद को “आदमी” कहते हैं, जबकि ये (हिंदू) “मनु” की औलाद को “मनुष्य” कहते हैं।
मैंने बड़े-बड़े धर्मगुरुओं से पूछा कि जब न श्रीराम थे, न ब्रह्मा और शिव, तब मनु यानी आदम किसकी पूजा करते थे। बहुत कम लोग बताते हैं कि वह “ओम” को पूजते थे, जिसका कोई रंग नहीं है। वह हवा है। उसने आसमान बनाया, उसने ही जमीन बनाई। उसे ही तो हम अल्लाह कहते हैं। इन्हीं को तो तुम ईश्वर कहते हो, फारसी बोलने वाले खुदा कहते हैं और अंग्रेजी बोलने वाले गाड कहते हैं। इसका मतलब मनु यानी आदम, ओम यानी अल्लाह को पूजते थे।”
संघ प्रमुख पर की आपत्तिजनक टिप्पणी
मदनी यहीं नहीं रुके। महाधिवेशन के शुरुआती दो दिन में आरएसएस समेत हिदू संगठनों से संवाद बढ़ाने की कोशिश को पलीता लगाते हुए उन्होंने संघ प्रमुख भागवत पर भी विवादित टिप्पणी की। कहा, “घर वापसी और सारे मुसलमानों को हिंदू बताने जैसा बयान “जाहिल” जैसा है। मदनी का इतना कहना था कि वहां उपस्थित तमाम धर्मगुरु आपत्ति जताने लगे। तमतमाए जैन धर्मगुरु लोकेश मुनि ने तल्ख लहजे में कहा, “मदनी साहब मेरे पिता समान हैं, लेकिन जितनी कहानी उन्होंने सुनाई है, अल्लाह, मनु, ये वो… सब बकवास की बातें हैं। मैं उन्हें शास्त्रार्थ की चुनौती देता हूं।
आप दिल्ली आएं या मुझे सहारनपुर बुलाएं, वहां मैं आऊंगा।” उन्होंने कहा, “जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर महावीर हुए। पार्श्वनाथ 23वें थे, इसके पहले 22वें तीर्थंकर नेमिनाथ थे, जो योगीराज कृष्ण के चचेरे भाई थे। इसी तरह, पहले तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव थे, जिनके पुत्र भरत और बाहुबली के आधार पर इस भारत का नाम पड़ा है। आपने जो बात कही है, हम उससे सहमत नहीं हैं। हम केवल इस पर सहमत हैं कि मिलजुलकर प्यार-मोहब्बत से रहें, लेकिन आपने सारे प्रयासों पर पलीता लगा दिया।” इतना कहकर वह मंच से उतर गए। सरदार चंडोक सिंह सहित सर्वधर्म संसद से जुड़े अन्य कई धर्मगुरु भी मंच से उतर गए।