छत्तीसगढ़ के संतों ने पाकिस्तान की रावी-सिंधु का पानी अयोध्या पहुंचाया। इस पानी को निर्माणाधीन राम मंदिर के मनीराम दास छावनी सभागार में रखा गया। यहां सातों महाद्वीपों की नदियों के पानी से भरे कलश रखे गए थे। इनका अमृत जल मंदिर की घंटियों, शंखध्वनि और वैदिक मंत्रों से पवित्र होता रहा।
अंत में जब जलाभिषेक हुआ, तो जय श्रीराम के जयघोष का नाद कोसों दूर तक सुना गया। इस दृश्य के साक्षी भारत के कोने-कोने से पहुंचे साधु संत, विशिष्टजन ही नहीं बने, बल्कि 40 से ज्यादा देशों के अप्रवासी नागरिक और कई देशों के राजदूत भी बने। 155 देशों की नदियों और सागर का यह पानी अयोध्या तक पहुंचा, इसकी भी अनोखी और लंबी कहानी है। एक नदी का छोटे से कलश में समा जाना और फिर अयोध्या तक लंबी यात्रा करना, आसान नहीं था। पूरे 31 महीने लगे।