कोरोना महामारी से पीडित मरीजों की जान बचाने के लिए हाई ग्रेड एंटीबायोटिक दवाओं के बेहिसाब इस्तेमाल का अब साइड इफेक्ट दिखने लगा है। इन दवाओं ने शरीर में हानिकारक बैक्टीरिया के साथ मित्र बैक्टीरिया (माइक्रो बायोम्स) को भी मारना शुरू कर दिया है। इतना ही नहीं हानिकारक बैक्टीरिया ने दवाओं के खिलाफ प्रतिरोध क्षमता तैयार कर ली है, जिससे शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता घटने, पाचन तंत्र में गड़बड़ी, डायरिया और हार्मोन असंतुलन की समस्याएं सामने आ रही हैं।
विशेषज्ञों के मुताबिक, गंभीर स्थिति वाले कोरोना संक्रमितों के इलाज में हाई ग्रेड एंटीबायोटिक दवाइयों का तो खूब इस्तेमाल हुआ ही, होम आइसोलेश्ान वालों ने भी इनका सेवन किया, जबकि वायरल इंफेक्शन में एंटीबायोटिक दवाइयों का कोई काम नहीं होता है। ऐसे में एंटीमाइक्रोबायल रेजिस्टेंस म्यूटेशन (एंटीबायोटिक दवाओं का निष्प्रभावी होना) का खतरा लगातार बढ़ता जाता है।
मित्र बैक्टीरिया विशेषकर आंतों में पाए जाते हैं, जो पाचक एंजाइम के रिसाव और पोषक तत्वों के अवशोषण में सहायक होते हैं। शरीर से दूषित पदार्थों को बाहर निकालने की प्रक्रिया व एंटीआक्सीडेंट बनाने में भी माइक्रो बायोम्स सहायक होते हैं। शरीर में फ्री आक्सीजन रेडिकल्स की कमी नहीं होने देते हैं। मित्र बैक्टीरिया मरने से एंटीबायोटिक जनित डायरिया, शरीर में पोषक तत्व के अवशोषण की प्रक्रिया बाधित होने से कुपोषण, इंफ्लामेट्री बबल डिजीज और अचानक से मोटापा बढ़ने की समस्याएं हो रही हैं।