स्वीडन स्थित कारोलिंस्का इंस्टीट्यूट के श्ाोधकर्ताओं ने एक अध्ययन में पाया कि डायबटीज की खास दवाओं से जुड़ा तंत्र अल्जाइमर से मुकाबले में मददगार साबित हो सकता है। न्यूरोलाजी नामक पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन निष्कर्ष में कहा गया है कि डायबिटीज की खास दवाओं में इस्तेमाल प्रोटीन अल्जाइमर के इलाज में काम आ सकता है। अल्जाइमर के इलाज के लिए अबतक किसी प्रभावी दवा का विकास नहीं हो सका है। नई दवा का विकास धीमी, महंगी और जटिल प्रक्रिया है। ऐसे में एक वैकल्पिक रणनीति के तहत पहले से स्वीकृत दवाओं के प्रभाव के संबंध में अध्ययन किए जा रहे हैैं। पूर्व में भी डायबिटीज की कुछ दवाओं को संभावित विकल्प के रूप में पेश किया गया, लेकिन संतोषजनक परिणाम सामने नहीं आए। अब कारोलिंस्का इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने अत्यंत गहराई से अध्ययन के लिए आनुवंशिक तरीकों का इस्तेमाल किया है। अध्ययन के प्रमुख लेखक बोवेन टांग के अनुसार, ‘दवा के लक्षित प्रोटीन को इनकोड करने वाले जीन वैरिएंट दवा की तरह ही शारीरिक बदलाव का कारण बन सकते हैैं। हमने उन जीन वैरिएंट का इस्तेमाल पूर्व में स्वीकृत दवाओं को अल्जाइमर के इलाज में प्रभावी बनाने के लिए किया है।” अध्ययन के दौरान ब्रिटेन के बायोबैैंक में पंजीकृत तीन लाख प्रतिभागियों के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया।