3,888 मीटर की ऊंचाई पर स्थित बाबा अमरनाथ की यात्रा पर इस बार मिनटों में तबाही मचाने वाले स्टिकी बम का खतरा है। 43 दिन लंबी चलने वाली यह यात्रा दो साल बाद हो रही है। जम्मू-कश्मीर से धारा-370 के हटने के बाद भी यह पहली यात्रा है।
कश्मीर के इंस्पेक्टर जनरल विजय कुमार ने कहा कि इस साल स्टिकी बम और ड्रोन अटैक दो बड़े खतरे हैं, लेकिन इन दोनों से बचने का पूरा प्लान भी तैयार है। ड्रोन का जवाब तो हवा में ही दिया जाएगा। 30 जून से 11 अगस्त तक चलने वाली अमरनाथ यात्रा के लिए अब तक 3 लाख से ज्यादा लोग रजिस्ट्रेशन कर चुके हैं। यात्रा दो साल बाद हो रही है, इसलिए श्रद्धालुओं का आंकड़ा तमाम पुराने रिकॉर्ड तोड़ते हुए 8 लाख तक पहुंच सकता है। पलहगाम से अमरनाथ तक यात्रियों को एक तरफ से करीब 46 किलोमीटर का सफर करना पड़ता है। इसमें तीन रातें रास्ते में बितानी होती हैं। वहीं बालटाल वाले दूसरे रूट से बाबा बर्फानी की गुफा तक की दूरी लगभग 14 किलोमीटर है। हालांकि, इस रूट में बारिश और बर्फबारी का रिस्क होता है।
खतरों से निपटने के लिए तैयारी क्या है
अमरनाथ यात्रा में पहली बार केंद्र की 350 कंपनियां तैनात की गई हैं। इनमें सेंट्रल आम्र्ड पुलिस फोर्सेज के 40 हजार से ज्यादा जवानों को तैनात किया गया है। अमरनाथ यात्रियों के लिए जम्मू के पहलगाम में बेस कैंप में सारे इंतजाम किए गए हैं। सुरक्षा का भी काफी कड़ा बंदोबस्त है।
आईजी कुमार के मुताबिक, यात्रा को तीन लेवल की सिक्योरिटी से कवर किया जाएगा। रोड ओपनिंग पार्टी के लिए सीएपीएफ और जम्मू कश्मीर पुलिस ने मिलकर तैयारी की है।
ऊंची पहाडिय़ों और घने जंगलों को सुरक्षित रखने का जिम्मा आर्मी का है। सभी लिंक रोड्स भी पूरी तरह सिक्योर होंगे। यात्रा की निगरानी ड्रोन्स, सीसीटीवी कैमरे के जरिए कर रहे हैं। वहीं हमने जरूरी ठिकानों पर शार्प शूटर्स और स्नाइपर्स की भी तैनाती की है।