सुप्रीम कोर्ट ने मतपत्रों और इलेक्ट्रानिक वोटिग मशीन (ईवीएम) से चुनाव चिह्न हटाकर उम्मीदवार की जानकारी दिए जाने की मांग वाली जनहित याचिका पर विचार करने से इन्कार कर दिया। याचिका में चुनाव आयोग को यह निर्देश देने की मांग की गई थी कि मतपत्रों और ईवीएम से राजनीतिक दलों का चुनाव चिह्न हटा दिया जाए। उसकी जगह उम्मीदवारों की उम्र, शैक्षणिक योग्यता की जानकारी दी जाए और तस्वीर लगाई जाए।
प्रधान न्यायाधीश उदय उमेश ललित और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता वकील अश्विनी उपाध्याय यह विषय चुनाव आयोग या अन्य प्राधिकारों के समक्ष लेकर जा सकते हैं और वे इस पर विचार कर सकते हैं। एएनआई के अनुसार, पीठ ने इस तरफ भी इशारा किया कि संविधान की 10वीं अनुसूची राजनीतिक दलों और विधायक दल को मान्यता देती है। सीजेआई ललित ने पूछा, ईवीएम पर पार्टी का चुनाव चिह्न होने में क्या गलत और आपत्तिजनक है? चुनाव राजनीतिक दलों से जुड़ा हुआ है…मतदाता राजनीतिक दल से संबंधित व्यक्ति को वोट देते हैं।
याचिका में कहा गया था कि चुनाव चिह्न की जगह प्रत्याशियों का विवरण देने से मतदाताओं को कुशल, परिश्रमी और ईमानदार उम्मीदवारों को वोट देने में मदद मिलेगी। इससे टिकट वितरण में राजनीतिक दलों के नेताओं की तानाशाही को रोका जा सकेगा।