आगामी बजट में टैक्स स्लैब के प्रारूप में बदलाव कर सरकार आम करदाताओं को थोड़ी राहत दे सकती है। इसका फायदा यह होगा कि नए टैक्स प्रारूप के प्रति लोगों को आकर्षण बढ़ेगा और करदाताओं को भी थोड़ी राहत मिल जाएगी। नए कर प्रारूप की घोषणा वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में की गई थी। हालांकि पिछले दो साल में नए टैक्स प्रारूप के प्रति आयकरदाताओं के रुझान में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई। मूल्यांकन वर्ष 2022-23 में 7.53 करोड़ आईटीआर दाखिल किए गए।
सूत्रों के मुताबिक 50 लाख से भी कम आईटीआर नए टैक्स प्रारूप के तहत दाखिल किए गए। पिछले साल से ही वित्त मंत्रालय नए प्रारूप में बदलाव पर विचार कर रहा है ताकि इसे आकर्षक बनाया जा सके। जानकारों का मानना है कि आयकरदाता तभी नए प्रारूप को अपनाएंगे जब उन्हें लाभ दिखेगा। अभी पुराने टैक्स प्रारूप में 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक की छूट और अन्य प्रविधानों के तहत भी कुछ छूट मिल जाती है। लेकिन नए टैक्स प्रारूप में यह सुविधा नहीं है।
पूर्व राजस्व सचिव ने भी टैक्स प्रारूप को आकर्षक बनाने को कहा था
पिछले साल पूर्व राजस्व सचिव तरुण बजाज ने भी एक कार्यक्रम में नए टैक्स प्रारूप को आकर्षक बनाने के लिए बदलाव की बात कही थी। नए टैक्स प्रारूप में छूट के प्रावधानों की अनुमित देने पर 10 लाख रुपये सालाना कमाने वाले को टैक्स की देनदारी में अगर दो हजार रुपये की भी कमी आती है तो यह छोटी ही सही, लेकिन राहत होगी। अभी नए और पुराने दोनों ही टैक्स प्रारूप में सालाना 2.5 लाख रुपये तक की आय पर कोई टैक्स नहीं है। पुराने स्लैब में पांच, 20 व 30 प्रतिशत का स्लैब है जबकि नए स्लैब में पांच, 10, 15, 20, 25 और 30 प्रतिशत का स्लैब है। सूत्रों के मुताबिक नए टैक्स स्लैब में टैक्स से छूट की 2.5 लाख की सीमा में बढ़ोतरी की जा सकती है।









