कोरोना काल ने लोगों के जीवन को किस तरह तक प्रभावित किया है, इसका उदाहरण मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में देखने को मिली। यहां की एक शिक्षिका ने महज इसलिए मां बनने का इरादा छोड़ दिया, क्योंकि आनलाइन कक्षा के दौरान वह बच्चों की हरकतों से परेशान हो गई थी। इस शिक्षिका ने जब अपना फैसला परिवार को सुनाया तो परिजन सन्न रहा गए। अब मामला कुटुंब न्यायालय में पहुंच गया। पति की गुहार पर कुटुंब न्यायालय में शिक्षिका की कई बार काउंसिलिंग की जा चुकी है, लेकिन वह मानने को तैयार नहीं है।
कुटुंब न्यायालय के काउंसलर के मुताबिक, महिला भोपाल के एक बड़े निजी स्कूल में प्राथमिक कक्षाओं की शिक्षिका है। कोरोना काल में रोज आनलाइन कक्षाएं ले रही हैं। उनके मुताबिक, कक्षा के दौरान बच्चे बहुत शैतानी करते हैं। बार-बार मना करने पर भी नहीं मानते। आनलाइन कक्षा के दौरान बच्चों के अनुशासनहीन व्यवहार से वह इतनी परेशान हो गई कि अब घर में बच्चा नहीं चाहती हैं।
महिला के पति का कहना है कि पत्नी अपनी जिम्मेदारी से बचने का बहाना बना रही है। काउंसलर चार बार महिला की काउंसिलिंग कर चुके हैं। दंपती की शादी को पांच साल हो चुके हैं।
शिक्षिका के पति का कहना है कि पत्नी दो-तीन साल तक करियर पर फोकस कर रही थी, उसने मां बनने के लिए समय मांगा। अब वह कह रही है कि बच्चों को पढ़ाने से इस कदर परेशान हो चुकी हूं कि मां नहीं बनना चाहती। मैं परिवार के ताने नहीं सह सकता।वहीं शिक्षिका का कहना है कि कई वर्षों से प्राइमरी कक्षा के बच्चों को पढ़ा रही हूं। स्कूल में भी बच्चों के शोर से परेशानी होती थी, लेकिन आनलाइन कक्षा के बाद बच्चों से चिढ़ होने लगी है। स्कूल के बाद घर में भी बच्चों की शैतानी बर्दाश्त नहीं कर सकती।