हिजाब विवाद के बीच कर्नाटक में 10वीं बोर्ड की परीक्षाएं शुरू हुईं। परीक्षा कराने पहुंची एक शिक्षिका को हिजाब उतारने से इन्कार करने पर निलंबित कर दिया गया है। हिजाब पहनकर परीक्षा केंद्र में बैठने से मना करने पर कुछ छात्राओं ने परीक्षा छोड़ दी। इन छिटपुट घटनाओं को छोड़कर पहले दिन की बोर्ड परीक्षा बिना किसी बड़े विवाद के संपन्न हुई। कुल परीथार्थियों की संख्या आठ लाख से ज्यादा है। सोमवार से शुरू हुई बोर्ड परीक्षाएं 11 अप्रैल को खत्म होंगी।
शिक्षिका नूर फातिमा बेंगलुरु में केएसटीवी हाई स्कूल में हिजाब पहनकर परीक्षा कराने पहुंची थीं। फातिमा की ड्यूटी कक्ष निरीक्षक की लगी थी। फातिमा को हिजाब उतारने से मना करने पर परीक्षा केंद्र से वापस भेज दिया गया। बाद में शिक्षा विभाग ने उन्हें निलंबित कर दिया। इसी तरह बगलकोट जिले के इलकल कस्बे में कुछ मुस्लिम छात्राओं ने हिजाब पहनने से रोकने पर परीक्षा देने से इन्कार कर दिया। हुबली जिले में एक छात्रा बिना ड्रेस और हिजाब व बुरका पहनकर परीक्षा देने पहुंची थी। ड्रेस नहीं होने से उसे वापस जाने को कहा गया, लेकिन बाद में हिजाब और बुरका उतारने पर उसे परीक्षा में बैठने दिया गया।
ज्यादातर मुस्लिम छात्राओं ने हिजाब की जगह परीक्षा को तरजीह दी। इन छात्राओं का कहना था कि परीक्षा केंद्र में हिजाब पहनकर बैठने से ज्यादा उनके लिए परीक्षा देना जरूरी है।
कर्नाटक सरकार ने परीक्षार्थियों के लिए स्कूल ड्रेस को अनिवार्य बनाया है। राज्य के गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने साफ कहा है कि नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। हर किसी को हाई कोर्ट के फैसले को मानना होगा। हिजाब पहनकर परीक्षा देने की अनुमति नहीं दी जाएगी। प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने भी यही बात कही है। उन्होंने यह भी भरोसा जताया है कि छात्र नियमों का पालन करेंगे और किसी विवाद में पड़े बिना परीक्षा पर ध्यान देंगे।