वाराणसी में सात मार्च, 2006 में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों में जिला एवं सत्र न्यायाधीश जितेंद्र कुमार सिन्हा की अदालत ने आतंकी वलीउल्लाह को दो मामलों में दोषी करार दिया, जबकि एक मामले में साक्ष्यों के अभाव में बरी किया। सजा पर सुनवाई छह जून को होगी। आतंकी वलीउल्लाह प्रयागराज के फूलपुर स्थित नलकूप कालोनी का रहने वाला है।
वाराणसी में सिलसिलेवार बम धमाके हुए थे। पहला बम धमाका शाम 6.15 बजे संकटमोचन मंदिर में हुआ था। 15 मिनट बाद 6.30 बजे दशाश्वमेध घाट थानाक्षेत्र में जम्मू रेलवे फाटक की रेलिग के पास कुकर बम मिला था। पुलिस की मुस्तैदी के चलते यहां विस्फोट नहीं हुआ। इसके पांच मिनट बाद 6.35 बजे वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन पर प्रथम श्रेणी विश्राम कक्ष के सामने धमाका हुआ था। दोनों विस्फोटों में 16 लोगों की मौत हुई थी व 76 घायल हुए थे। वाराणसी में अधिवक्ताओं ने वलीउल्लाह की पैरवी करने से मना कर दिया था। हाई कोर्ट के आदेश पर 24 दिसंबर, 2006 को यह मामला सुनवाई के लिए गाजियाबाद स्थानांतरित हुआ था।
अभियोजन की तरफ से जीआरपी कैंट धमाके में 54, संकट मोचन धमाके में 47 और दशाश्वमेध घाट मामले में 20 गवाह पेश किए गए थे, जबकि बचाव पक्ष ने तीनों मामलों में तीन-तीन गवाह पेश किए थे। दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद अदालत ने वलीउल्लाह को संकटमोचन मंदिर व दशाश्वमेध घाट थानाक्षेत्र में हुई घटना के मामले में दोषी करार दिया। उसे हत्या, हत्या का प्रयास, चोटिल व अंग भंग करने, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम व विधि विरुद्ध क्रियाकलाप के आरोपों में दोषी करार दिया गया है। कैंट रेलवे स्टेश्ान मामले में अदालत ने पुख्ता साक्ष्यों के अभाव में उसे बरी किया।
सुनवाई के लिए वलीउल्लाह कड़ी सुरक्षा में डासना जेल से अदालत में पेश हुआ। अदालत ने जब दो मामलों में दोषी करार दिया तो उसका चेहरा मायूस हो गया। सजा का खौफ उसके चेहरे पर दोषी करार दिए जाने के बाद से ही दिखने लगा।
वाराणसी के जम्मू रेलवे फाटक की रेलिग के पास सात मार्च, 2006 की शाम साढ़े छह बजे जिस कूकर बम को डिफ्यूज किया गया था, अगर वह फटता तो आस-पास 200 वर्गमीटर क्षेत्र में सब तहस-नहस हो जाता। यह बयान एंटी बम स्क्वायड टीम के प्रभारी किशन सिह रावत ने मामले की सुनवाई के दौरान गाजियाबाद जिला जज की अदालत में दिए थे। शासकीय अधिवक्ता राजेश शर्मा ने बताया कि रेलवे फाटक के पास बम विस्फोट कर आतंकियों की साजिश ट्रेन को निशाना बनाने की थी।
तीनों मामलों में अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ एफआइआर दर्ज हुई थी। आरोपितों के नाम पुलिस ने विवेचना में उजागर किए थे। तीनों मामलों में वलीउल्लाह के अलावा बशीर, जकारिया, मुस्तफीज व मोहम्मद जुबैर भी आरोपित थे। मोहम्मद जुबैर नौ मई 2006 को जम्मू कश्मीर में एलओसी पर पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था। वह बागपत के टाडा गांव का रहने वाला था। बशीर, जकारिया और बांग्लादेशी मुस्तफीज को पुलिस अभी तक नहीं पकड़ पाई है।
वल्लीउल्लाह को पांच अप्रैल, 2006 को गिरफ्तार किया था। उससे पिस्टल, आरडीएक्स, डेटोनेटर व अन्य विस्फोटक पदार्थ बरामद हुए थे। लखनऊ स्थित अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत इस मामले में उसे 2006 में ही 10 साल की सजा सुना चुकी है।