मिलिए ऐसे परिवार से जो पीढ़ियों से कर रहे हैं लोगों का इलाज
डॉक्टर डे पर खास स्टोरी
कहते हैं ईश्वर के बाद अगर किसी व्यक्ति को जिंदगी देने की शाक्ति है तो वह डाक्टर है, इसी लिए उसे धरती का भगवान कहा जाता है। डॉक्टरी पेशे में कई बार ऐेसे पल आते हैं जब जीवन की उम्मीद लोग छोड़ देते है उस वक्त डॉक्टर मौत को मात देकर जिंदगी बचा लेता है। बुधवार को नेशनल डॉक्टर डे पर हम आपको कुछ ऐसे लोगों से मिलाते हैं जिनका पूरा जीवन, और परिवार की एक नहीं कई पीढ़ियां डॉक्टर हैं और मानव सेवा में लगा हुआ है।
बिना समय की परवाह करे अनजान लोगों की जान बचाने वे हमेशा तैयार रहते हैं। ये भावना कुछ को अपने पूवजों को देखते हुए मिली हैं और कुछ को अपने माता-पिता से सीखी है।
चार पीढ़ियां हैं डॉक्टर
राजधानी का दुबे परिवार लोगों के लिए मिसाल है। इस परिवार की चार पीढ़ियां डाक्टर हैं। परिवार के बड़े बेटे आनंद दुबे मनोरोग विशेषज्ञ हैं और उनकी पत्नी शुभा दुबे किडनी रोग विशेषज्ञ।
दूसरे बेटे आशीष दुबे एमबीबीएस एम डी हैं उनकी पत्नी संध्या दुबे एमडी हैं। डॉक्टर संध्या दुबे बताती हैं कि उनके यहां चार पीढ़ियां डॉक्टर हैं। दादा सुसर, स्वर्गीय श्रवण लाल दुबे, ससुर स्वर्गीय एमएम दुबे, सास स्वर्गीय विद्या दुबे भी डाक्टर थे। परिवार के अधिकांश सदस्य इसी प्रोफेशन से हैं। डॉक्टर शुभा और संध्या दुबे के बच्चे भी डाक्टर ही हैं। पूरे परिवार में सात बच्चे हैं जिनमें से चार डॉक्टर बन चुके हैं और तीन अभी इसकी पढ़ाई कर रहे हैं। डाक्टर दुबे कहती हैं कि बच्चों को कभी भी बोला नहीं गया कि वे आगे चल कर क्या बने लेकिन घर के सभी बड़ों को देख कर उनके मन में इस प्रोफेशन को लेकर बहुत ज्यादा सम्मान था यही कारण है कि सातों बच्चों ने डॉक्टर की ठानी।
इनमें साइकाइट्रिस्ट, डरमेटोलाजिस्ट,परमोनोलाजिस्ट, गायनिकोलॉजिस्ट, पैथोलॉजिस्ट हैं। इतना ही नहीं इस परिवार में हाल ही मे आई बहू भी गाइनिकोलाजिस्ट है और दामाद भी पेशे से डाक्टर हैं। परिवार के सदस्यों की माने तो लोगों की हेल्प करना और किसी की तकलीफ को कम करने में जो सुकून है वो किसी और में नहीं है।
दादा जी को मिला था पद्मश्री आयुर्वेदा
डॉक्टर पूनम(पांडे) मिश्रा गायनिकोलॉजिस्ट हैं। डॉक्टर मिश्रा की दादी जी और पिता जी भी डॉक्टर थे। दादी उस जमाने में पहली महिला बीएमएस थीं। मम्मी डॉक्टर शोभना पांडे भी गाइनिकोलाजिस्ट है। डॉ. पूनम अपनी मम्मी के जैसा बनाना चाहती थी यही कारण है कि उन्होंने शुरु से मन बना लिया था कि उन्हें आगे चलकर गायनिक डॉक्टर ही बनाना है। डॉ. पूनम की शादी न्यूरोलॉजिस्ट हर्षित मिश्रा से हुई है। वे कहती हैं कि जब परिवार के सदस्य एक ही प्रोफेशन के होते हैं तो बहुत अच्छी बौडिंग बनती हैं और रास्ते अपने आप बनते जाते हैं। पूनम के दादा जी स्वर्गीय एमडी पांडे को पद्म श्री आयुवेदा मिला था, वो समय पूरे परिवार के लिए गर्वित करने वाला था।
चाचा चाची बने आदर्श
डॉ एआर दल्ला और सास डॉ नूरबानू दल्ला
डॉक्टर तबस्सुम दल्ला के लिए उनके चाचा चाची मिसाल बनें। बचपन से ही वे उन्हें देखते आईं हैं। वह दोनों भी पेशे से डॉक्टर हैं। डॉ. तबस्सुम नोबल प्रोफेशन को चुनना चाहती थीं। इनता ही नहीं वह गायनिकोलॉजिस्ट बनने बनने का निश्चय की थीं, इसके पीछे डॉ तबस्सुम दल्ला अपने ससुर डॉ एआर दल्ला और सास डॉ नूरबानू दल्ला उनकी सोच कन्या भ्रूण हत्या रोकना था। वे कहती हैं कि बिना इस प्रोफेशन में आए ये संभव नहीं था कि वह इसके लिए कुछ कर सकें। आज उन्हें उनके ससुर सर्जन डॉक्टर एआर दल्ला और सास डॉक्टर नूरबानू दल्ला का काफी सर्पोट मिलता है जिसके कारण वे हर चीज को आसानी से कर लेती हैं।
सास डॉ नूरबानू दल्ला