रायपुर। रायपुर की विवादित धर्म संसद में एक समुदाय के खिलाफ हिंसा की बात और महात्मा गांधी को गाली देने के मामले में पुलिस कार्रवाई शांत होते ही आयोजकों के सुर बदल गए हैं। अब धर्म संसद के आयोजक नीलकंठ त्रिपाठी ने दूधाधारी मठ के महंत रामसुंदर दास पर भी आरोप लगाए हैं। त्रिपाठी ने कहा, महात्मा गांधी को गाली देने पर वे सभा का बहिष्कार कर चले गए। लेकिन जब भगवान राम को अपशब्द कहे जा रहे थे तो उन्होंने कांग्रेस क्यों नहीं छोड़ी। महात्मा गांधी को गाली देने और भड़काऊ भाषण मामले में गिरफ्तार कथित संत कालीचरण की रिहाई के लिए कुछ आयोजकों ने रविवार को प्रदर्शन किया। नीलकंठ त्रिपाठी और भाजपा नेता सच्चिदानंद उपासने समेत कई लोगों ने महादेव घाट पर खारुन नदी में उतरे और नारे लगाए। उनका कहना था, सरकार एक संत को जेल में डालकर अत्याचार कर रही है। यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के खिलाफ है। सरकार को कालीचरण से राजद्रोह की धारा हटाकर तत्काल रिहा करना चाहिए। करीब एक घंटे के प्रदर्शन में पांच-छह अन्य लोग मौजूद रहे। आयोजक नीलकण्ठ त्रिपाठी ने मीडिया से चर्चा में कहा, धर्म संसद के मुख्य संरक्षक महंत रामसुंदर दास जी ने जिस प्रकार धर्म संसद का बहिष्कार कर आयोजक समिति और वहां मंच पर उपस्थित समस्त संतों के ऊपर आरोप लगाया। कहा, जब महात्मा गांधी को गाली दी जा रही थी तो आप लोग चुप क्यो थे। वे महंत जी से पूछना चाहते हैं कि कालीचरण महाराज का महात्मा गांधी को गाली देना इतना बुरा लग गया कि धर्म संसद का बहिष्कार करके चले गए। वहीं जब भगवान राम को अपशब्द कहे जा रहे थे तो आपने कांग्रेस का बहिष्कार क्यों नहीं किया। तब क्यों मौन थे। त्रिपाठी ने कहा, महंत जी को तब इतना बुरा नहीं लगा जब ब्राह्मण, बनिया, ठाकुर सभी सवर्णों को यहां से भगाने की बात हो रही थी।
प्रदेश में बड़े आंदोलन की चेतावनी
भाजपा नेता सच्चिदानंद उपासने ने कहा, कालीचरण महाराज के ऊपर राजद्रोह की धारा लगाकर सरकार संतों का और सनातन धर्म का अपमान कर रही है। अगर उनके ऊपर से राजद्रोह की धारा हटाकर उन्हें रिहा नहीं किया जाता तो बड़ा आंदोलन होगा। जागरुकता अभियान चलाकर प्रदेश भर में आंदोलन खड़ा किया जाएगा।