
कश्मीर अब बदलाव की अंगड़ाई ले रहा है। यहां के लोग अब आतंकियों और अलगाववादियों के साथ शोषण की सियासत को नकार कर मुख्यधारा में पूरी तरह विलीन होने लगे हैं। स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मनाने की तैयारी चल रही है। इस बीच शुक्रवार को आजादी के बाद पहली बार कश्मीर विश्वविद्यालय परिसर में राष्ट्रध्वज फहराया गया और राष्ट्रगान भी हुआ। विश्वविद्यालय परिसर में एक ऊंचे स्तंभ पर दूर से ही तिरंगा लहराता हुआ नजर आ रहा है।
पूरे देश की तरह जम्मू-कश्मीर में भी 75वीं वर्षगांठ मनाने के लिए अमृत महोत्सव की शुरुआत हुई। अगले 75 सप्ताह तक देश की आजादी, स्वतंत्रता के बाद प्रगति के पथ पर आगे बढ़ते भारत की गौरवशाली गाथा, राष्ट्रीय एकता अखंडता और भारत की सदियों पुरानी सांस्कृतिक विरासत को दशार्ते विषयों पर कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इस सिलसिले में उत्तरी कश्मीर में एलओसी के साथ सटे बारामुला में कश्मीर के रक्षक शहीद मकबूल शेरवानी तो सांबा में शहीद ब्रिगेडियर राजेंद्र सिंह की जन्मस्थली पर समारोह आयोजित किए गए। डल झील में भी शिकारा रैली निकाली गई। इस दौरान स्थानीय लोगों द्वारा तैयार तिरंगे भी लहराए गए।
इतना ही नहीं जो कश्मीर विश्वविद्यालय में हुआ, वह कइयों के लिए सामान्य घटना होगी, लेकिन कश्मीर के जानकारों के लिए पूरी तरह असामान्य है। यह घटना कश्मीर में बदलती मानसिकता और मुख्यधारा में उसके शामिल होने का संकेत देती है। आज कश्मीर विश्वविद्यालय में भी आजादी का अमृत महोत्सव मनाया गया। इस दौरान परिसर में बाहर खुले में राष्ट्रध्वज फहराया गया। राष्ट्रगान भी हुआ। किसी ने कोई एतराज नहीं जताया।