राजनीति में प्रतिमा को प्रतीक माना जाता है। यही वजह है कि ऊंची से ऊंची प्रतिमा स्थापित करने की होड़ रहती है। इसके बावजूद आपको जानकर हैरानी होगी कि देश में एक शहर ऐसा भी है, जहां एक भी महान हस्ती की प्रतिमा नहीं लगाई गई है।
किसी महान विभूति को याद रखने और उसके आदर्शों से जनता को प्रेरित करने के लिए प्रतिमा लगाने का चलन काफी समय से चल रहा है। उस शख्स की जयंती या पुण्यतिथि पर प्रतिमा को माल्यार्पण कर हर वर्ष उसे याद किया जाता है। इन अवसरों पर नेतागण भाषण भी देते हैं। मगर यह तो सिक्के का एक पहलू है। इसके अलावा ऐसी कई घटनाएं भी होती हैं, जब विपरीत विचारधारा के लोग प्रतिमाओं की अवमानना करते हैं और यह समाज में तनाव का कारण बनता है।
ऐसी स्थिति में इन प्रतिमाओं की सुरक्षा और रखरखाव के लिए भी बहुत कुछ करना पड़ता है। इसमें समय और पैसा दोनों खर्च होते हैं। शायद यही वजह है कि महाराष्ट्र के अंबाजोगाई शहर की आबादी करीब डेढ़ लाख है। अंबाजोगाई जिला भारत का एकमात्र शहर है, जहां किसी भी सड़क, चौराहे पर किसी भी शख्स, नेता और समाज सेवी की प्रतिमा कभी नहीं लगाई गई है।