रायपुर । राज्यपाल अनुसुईया उइके ने आज प्रजापिता ब्रम्हाकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के राजधानी रायपुर स्थित शांति सरोवर में प्रशासकों, कार्यपालकों और प्रबंधकों के लिए आयोजित अखिल भारतीय प्रशासनिक सम्मेलन का दीप प्रज्जवलित कर शुभारम्भ किया। आजादी के अमृत महोत्सव से स्वर्णिम भारत की ओर परियोजना के तहत राजयोग एजुकेशन एन्ड रिसर्च फाउंडेशन के प्रशासक सेवा प्रभाग द्वारा ह्यस्प्रिचुअलिटी फॉर एक्सीलेंस इन एडमिनिस्ट्रेशनह्य विषय पर यह सम्मेलन आयोजित किया गया। राज्यपाल सुश्री उइके ने अपने संबोधन में कहा कि आज प्रशासनिक अधिकारियों व प्रबंधकों के लिए आयोजित यह सम्मेलन निश्चित ही उन्हें मार्गदर्शित करेगा। प्रशासक शासन व्यवस्था की धुरी है। प्रशासक जितना कुशल, उत्तरदायी, कर्मठ और ईमानदार होगा, प्रशासन उतना ही जिम्मेदार और सक्षम बनेगा। उन्होंने कहा कि सामान्य धारणा है कि वर्तमान प्रशासनिक व्यवस्था लोगों की आकांक्षाओं को पूर्ण करने में खरा नहीं उतर रहा है तथा लोगों में व्यवस्था को लेकर असंतुष्टता दिखाई देती है। इसका एक प्रमुख कारण नैतिक और मानवीय मूल्यों के अभाव को माना जा रहा है। प्रशासन को दक्ष बनाने के लिए नैतिक व मानवीय मूल्यों, आध्यात्मिक ज्ञान और सकारात्मक विचारों को प्रशासनिक कार्यप्रणाली का अंग बनाना होगा, जिससे वे लोक व देशहित को सर्वोच्च प्राथमिकता दें।
जन कल्याणकारी नीतियों के बेहतर क्रियान्वयन से समाज तथा देश का विकास संभव हो पाएगा
राज्यपाल सुश्री उइके ने कहा कि जन कल्याणकारी नीतियों के बेहतर क्रियान्वयन से समाज तथा देश का विकास संभव हो पाएगा। ऐसे में प्रशासक में संवेदनशीलता, करूणा एवं सद्भावना जैसे मानवीय मूल्य हों तो वे बड़ी सहजता से जनसमस्याओं को दूर कर उनमें खुशी का संचार कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि आप तभी सफल प्रशासक बन पाएंगे जब आपके मन में करूणा, स्नेह और आदर का भाव होगा। लोग बेझिझक आपसे अपनी बात कह पाएंगे, उन्हें अपनी समस्या का समाधान मिलेगा। लोग बहुत छोटी-छोटी समस्याओं को लेकर प्रशासनिक अधिकारियों के पास आते हैं। आवश्यकता केवल इतनी है कि आप उनसे बात कर लें, उनकी समस्याओं को सुनें और नियम अनुरूप निर्णय से उन्हें लाभान्वित करें। इससे लोगों के बीच प्रशासक की स्वीकार्यता बढ़ेगी।