नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीडियो कॉन्फे्रंसिंग के माध्यम से गुजरात के उच्च न्यायालय की डायमंड जुबली को चिह्नित करने वाले कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं। इस मौके पर मुख्यमंत्री विजय रुपाणी भी मौजूद रहे। इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि गुजरात हाईकोर्ट ने सत्य और न्याय के लिए जिस कर्तव्य और निष्ठा से काम किया है उसने भारतीय न्याय व्यवस्था को मजबूत किया है। कोरोना महामारी के समय अगर एक ओर देश ने अपना सामथ्र्य दिखाया, तो दूसरी ओर न्याय पालिका ने भी अपने समर्पण और कर्तव्यनिष्ठा का उदाहरण पेश किया है। डिजिटल इंडिया मिशन आज बहुत तेजी से हमारे जस्टिस सिस्टम को आधुनिक बना रहा है। आज देश में 18 हजार से ज्यादा कोर्ट कम्प्यूटराइज्ड हो चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट से वीडियो कॉन्फे्रंसिंग और टेली कॉन्फे्रंसिंग को लीगल सेंटिटी मिलने के बाद ही सभी अदालतों में ई-प्रोसिडिंग में तेजी आई है। न्याय के जो आदर्श भारतीय संस्कारों का जो हिस्सा रहे हैं, वो न्याय हर भारतीय का अधिकार है। इसलिए ज्यूडिशरी और सरकार दोनों का ही दायित्व है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में मिलकर वल्र्ड क्लास जस्टिस सिस्टम खड़ा करे।
हमारा जस्टिस सिस्टम ऐसा होना चाहिए, जो समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति के लिए भी सुलभ हो, जहां हर व्यक्ति के लिए न्याय की गारंटी हो और समय से न्याय की गारंटी हो। सरकार भी इस दिशा में अपने कर्तव्यों को पूरा करने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है। न्यायपालिका के प्रति भरोसे ने सामान्य नागरिक के मन में एक आत्मविश्वास जगाया है। सच्चाई के लिए खड़े होने की उसे ताकत दी है। आजादी से अब तक देश की यात्रा में हम न्यायपालिका के योगदान की चर्चा करते हैं, तो बार के योगदान के भी चर्चा करते हैं। गुजरात हाईकोर्ट की इस अविस्मरणीय यात्रा की स्मृति में आज एक डाक टिकट जारी किया गया है। मैं इस अवसर पर न्याय जगत से जुड़ आप सभी महानुभावों को, गुजरात की जनता को अपनी शुभकानाएं देता हूं। न्यायपालिका के प्रति भरोसे ने सामान्य नागरिक के मन में एक आत्मविश्वास जगाया है। सच्चाई के लिए खड़े होने की उसे ताकत दी है। आजादी से अब तक देश की यात्रा में हम न्यायपालिका के योगदान की चर्चा करते हैं, तो बार के योगदान के भी चर्चा करते हैं। भारतीय समाज में रूल ऑफ लॉ, सदियों से सभ्यता और सामाजिक ताने-बाने का आधार रहा है। हमारे प्राचीन ग्रंथों में कहा गया है- न्यायमूलं सुराज्यं स्यात्। यानी, सुराज्य की जड़ ही न्याय में है।