हीरे उत्पादन करने वाली कंपनियों ने इंटरनेशनल मार्केट में कीमतों में गिरावट न आए इसके लिए सप्लाई पर रोक लगा दी। हीरा उत्पादन करने वाली सबसे बड़ी कंपनी डी बीयर्स ने कच्चे हीरे की कीमतों में 35 फीसदी और पॉलिश्ड के दामों में 20 फीसदी की कमी के बाद यह कदम उठाया है, ताकि कीमतों में तेजी लाई जा सके। रूस की डायमंड कंपनी अलरोसा ने भी हीरों की सेल्स को रोक रखा है।
हीरों की कीमतों में लगातार गिरावट देखी जा रही है। हीरे की ज्वेलरी की बाजार में मांग कम हुई है। इसके चलते हीरे की कीमतें एक साल के निचले लेवल पर आ चुकी है। पहले के मुकाबले लोग अब हीरे की ज्वेलरी खरीददारी को कम तवज्जो दे रहे हैं। इस महंगी लग्जरी आईटम की खरीदारी की जगह लोग ट्रैवल पर ज्यादा खर्च कर रहे हैं। चीन में हीरे की बड़ी खपत होती है, लेकिन महामारी के बाद चीनी अर्थव्यवस्था की कमजोर रिकवरी के चलते वहां डिमांड बहुत घट गया है। अमेरिका में भी महंगाई और महंगे कर्ज के चलते लोग हीरे की खरीदारी कम कर रहे हैं। इन कारणों के चलते हीरे की कीमतें घटी है।
इन कंपनियों का कहना है कि कमजोर मांग के चलते हीरे की सप्लाई घटा दी है। एक साल पहले के मुकाबले हीरों की मांग में 82 फीसदी की कमी आई है। वैश्विक आर्थिक चुनातियों और हालात के चलते लग्जरी आईटम्स की डिमांड प्रभावित हुई है। डायमंड कंपनियां हीरे की कीमतों में उछाल के साथ मांग में तेजी देखना चाहती हैं। हालांकि लॉन्ग-टर्म आउटलुक डिमांड बढ़ने को लेकर शानदार रहने वाला है। भारत में भी हीरों के व्यापारियों ने हीरे की कीमतों में कमी के बाद इंपोर्ट पर दो महीने तक के लिए रोक लगा रखी है। भारत में दुनिया की 90 फीसदी कच्चे हीरे की कटिंग और पॉलिश की जाती है।