बजट 2021-22 में घोषित दो सरकारी बैंकों और एक बीमा कंपनी के निजीकरण को अमली जामा पहनाने को लेकर तैयारियां वित्त मंत्रालय ने तेज कर दी हैं। मंत्रालय के अधिकारी दोनों बैंकों और बीमा कंपनी के निजीकरण को लेकर तय समयसीमा के पालन में कोताही नहीं बरतना चाहते। निजीकरण के लिए बैंकिग कंपनीज एक्ट और बैंकिग रेगुलेशन एक्ट में संशोधन को लेकर मंत्रालय में विमर्श चल रहा है। फिलहाल पांच राज्यों में चुनावों के कारण बजट सत्र की अवधि भी घटाने पर चर्चा हो रही है। ऐसे में उक्त संशोधन विधेयक को मानसून सत्र में लाने की कोशिश होगी।
सूत्रों के मुताबिक, अभी जिन दो सरकारी बैंकों और एक सरकारी जनरल इंश्योरेंस कंपनी का निजीकरण किया जाने वाला है, उनके नामों पर फैसला नहीं हुआ है। मगर इस घोषणा को अमली जामा पहनाने के लिए कानून में संशोधन सबसे पहली शर्त है। संशोधन का काम पूरा होने के बाद निजीकरण की प्रक्रिया पूरी की जा सकेगी। आम बजट 2021-22 में केंद्र सरकार ने विनिवेश से 1.75 लाख करोड़ रुपये हासिल करने का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए दो सरकारी बैंकों और एक बीमा कंपनी के निजीकरण के अलावा भारतीय जीवन बीमा निगम और आइडीबीआइ बैंक में सरकार की हिस्सेदारी को बेचना जरूरी होगा।