वन्यजीवों के संरक्षण पर सरकार भले ही ध्यान केंद्रित किया है, लेकिन मानव-वन्यजीव संघर्षों के कारण मनुष्य और जानवर दोनों के जीवन का नुकसान हुआ है। पर्यावरण और वन मंत्रालय के अनुसार, पिछले तीन साल में करंट लगने, जहर देने से लेकर दुर्घटनाओं तक विभिन्न् कारणों से बड़ी संख्या में हाथियों की जान जा चुकी है।
मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, इस दौरान देश भर में कुल 198 हाथियों की करंट लगने से, 41 की ट्रेन से और आठ की मौत जहर से हुई है। वहीं 27 हाथियों को शिकारियों ने निशाना बनाया। दूसरी ओर बड़ी संख्या में मनुष्य भी संघर्ष का शिकार बने और उनकी मृत्यु हुई। हाथियों ने तीन साल में 1,579 लोगों को मार डाला। इसमें 2019-20 में 585, 2020-21 में 461 और 2021-22 में 533 लोगों की मौत हुई है। इसमें सबसे ज्यादा ओडिशा में 322 लोगों की मौत हुई, इसके बाद झारखंड में 291, पश्चिम बंगाल में 240, असम में 229, छत्तीसगढ़ में 183 और तमिलनाडु में 152 लोगों की मौत हुईं।
25 जुलाई को संसद में मंत्रालय ने कहा कि मानव-वन्यजीव संघर्षों के आकलन से पता चलता है कि मुख्य कारणों में प्राकृतिक वास का नुकसान, जंगली जानवरों की आबादी में वृद्धि, जंगली जानवरों को खेत की ओर आकर्षित करने वाले फसल, वन क्षेत्र से जंगली जानवरों का भोजन और चारे के लिये मानव आबादी की ओर आना-जाना, वनोपज के अवैध संग्रहण्ा के लिये मनुष्यों का वनों की ओर जाना आदि शामिल हैं।
ओडिशा के क्योंझर जंगल में करंट से हाथी की मौत
ओडिशा के क्योंझर जिले के जंगल में एक हाथी का शव मिला। वन अधिकारियों ने कहा कि 11 केवी तार के संपर्क में आने के बाद हाथी की मौत हो गई। क्योंझर डिवीजन के डीएफओ एचडी धनराज ने बताया कि हाथी बिजली के खंभे को सपोर्ट करने वाले स्टे वायर के संपर्क में आया, जिससे उसकी मौत हो गई।
हाथियों को पकड़ रहा केरल वन विभाग
मानव-वन्यजीव संघर्ष को रोकने के लिए केरल के वन विभाग ने जनवरी 2023 में दो हाथियों पंडालुर मखना और पलक्कड़ टस्कर को पकड़ा है। पंडालुर मखना तमिलनाडु के गुडलूर इलाके में दो महिलाओं की हत्या में श्ाामिल था। इसने केरल के वायनाड इलाके में भी उत्पात मचाया था। वहीं पलक्कड़ टस्कर या पीटी -7 एक घातक हाथी है, जिसने पलक्कड़ के धोनी क्षेत्र में लोगों को मारकर और फसलों को नष्ट कर तबाही मचाई थी।
तमिलनाडु में बिजली की बाड़ से तीन हाथियों की मौत
तमिलनाडु के धर्मपुरी जिले के काली कोट्टा गौंडर गांव में सात मार्च को तीन मादा हाथियों की करंट लगने से मौत हो गई। वन विभाग ने पाया कि हाथियों की मौत एक किसान द्वारा अपनी फसलों को जंगली सूअरों के हमले से बचाने के लिए बनाई गई अवैध बिजली की बाड़ के संपर्क में आने से हुई थी। किसान 48 वर्षीय किसान मुरुगन को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।
असम में हर साल 80 हाथियों, 70 इंसानों की जाती है जान
असम के वन मंत्री चंद्रमोहन पटोवरी ने हाल ही में कहा था कि राज्य में मानव-हाथी संघर्ष में हर साल औसतन 70 से अधिक लोग और 80 हाथी मर जाते हैं। पटोवरी के अनुसार, जब लोग हाथियों के प्राकृतिक आवास (जंगल) पर कब्जा कर लेते हैं, तो जानवर मजबूर हो जाते हैं। भोजन की तलाश में अपने घरों को छोड़ देते हैं, जिसके परिणामस्वरूप लोगों से टकराव होता है।