नौसेना और वायुसेना के लिए ब्रह्मोस मिसाइल, रडार समेत 39 हजार 125 करोड़ के हथियार और उपकरण खरीदे जाएंगे। रक्षा मंत्रालय ने इसके लिए पांच सैन्य सौदों पर दस्तखत किए हैं। इन बड़े स्वदेशी रक्षा सौदों से भारतीय सेना को मजबूती मिलेगी। मंत्रालय से जारी बयान में कहा कि ये सौदे विदेशी मुद्रा बचाएंगे और भविष्य में विदेशी मूल के उपकरण निर्माताओं पर निर्भरता कम करेंगे। इनमें से एक रक्षा सौदा मिग-29 विमानों के एयरो इंजन की खरीद के लिए हिंदुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के साथ किया गया है।
क्लोज-इन हथियार प्रणाली (सीआइडब्ल्यूएस) और अत्याधुनिक रडार की खरीद के लिए लार्सन एंड टूब्रो लिमिटेड से दो करार हुए हैं। इसके अलावा, ब्रह्मोस मिसाइलों की खरीद के लिए ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड (बीएपीएल) के साथ दो सौदों को फाइनल किया गया।
इन हथियारों और उपकरण में आरडी-33 एयरो इंजन मिग-29 के बाकी बचे जीवन में अहम होंगे। इनका निर्माण रूस ओईएम की ट्रांसफर आफ टेक्नोलाजी (टीओटी) लाइसेंस के जरिए होगा। क्लोज-इन हथियार प्रणाली कम दूरी की आने वाली मिसाइलों और दुश्मन के विमानों का पता लगाने और उन्हें नष्ट करने के लिए रक्षा प्रणाली है। वहीं, नया रडार वायुसेना की रक्षा क्षमता को बढ़ाएगा। इसके आधुनिक सेंसर छोटे लक्ष्यों को भी साध लेंगे। निजी क्षेत्र के हाथों बनने वाली भारत में यह पहली रडार प्रणाली होगी।