मध्य प्रदेश के मुस्लिम परिवार का कब्रिस्तान की जमीन पर मकान बनाने को लेकर विवाद हो गया था। इससे आहत होकर उस पविार की बेटी ने इस मामले में 30 लोगों पर एफआइआर दर्ज करावा दी और उसने इस्लाम छोडकर कर हिंदू धर्म अपना लिया है। यह बात मुस्लिम समुदाय के लोगों को इतनी नागवार गुजरी कि बेटी के पिता की मौत के बाद सजा उसके शव को मिली। उनलोगों ने शव को कब्रिस्तान में दफनाने से रोक दिया बाद शहर काजी के समझाने और पुलिस की दखल के बाद शव को दूसरे कब्रिस्तान में दफनाया जा सका।
श्योपुर शहर के सलापुरा स्थित आबू सैयद वाले कब्रिस्तान में बुजुर्ग के शव को दफनाने को लेकर विवाद हो गया। बुजुर्ग के शव को कुछ लोगों ने इसलिए कब्रिस्तान में दफन नहीं करने दिया क्योंकि उनकी बेटी ने हिंदू धर्म अपना लिया था। दरअसल बीते दिनों यहां कब्रिस्तान की जमीन पर मकान बनाने को लेकर विवाद हो गया था। इसके बाद बुजुर्ग ईदा खां की बेटी ने इस मामले में 30 लोगों पर बलवा की एफआइआर दर्ज कराई थी। साथ ही उसने इस्लाम छोडकर हिंदू धर्म अपना लिया है। वक्फ कमेटी के लोगों का कहना था कि ईदा खां की बेटी ने इस्लाम छोड दिया है इसलिए, उसके पिता के शव को कब्रिस्तान में दफन नहीं किया जा सकता।
विवाद बढने के बाद पुलिस सक्रिय हुई और टीआइ रमेश डांडे, शहर काजी अतीक उल्लाह कुरेशी, अंजुमन सदर शब्बीर नागौरी के साथ मुस्लिम समाज के लोगों ने बैठक कर बुजुर्ग के शव को हजीरे वाले कब्रिस्तान में दफनाने का निर्णय लिया। कब्रिस्तान विकास समिति के अध्यक्ष असलम बेग ने ईदा खां की मय्यत को मुस्लिम समाज के लोगों की मदद से सलापुरा से हजीरा वाले कब्रिस्तान तक पहुंचाया और वहां पर कब्र खुदवाकर सुपुर्द-ए-खाक किया गया।