पाकिस्तान ने एफएटीएफ की बैठक से ठीक पहले खुद अपना पैर कुल्हाड़ी पर मार लिया है। उसने आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के सरगना सैयद सलाहुद्दीन को अपने खुफिया संगठन आईएसआई का अफसर के रूप में पेश किया है। खास बात यह है कि इसे बात आईएसआई ने खुद स्वीकार की है। भारतीय एजेंसियों के पास वह दस्तावेज आ गया है, जिसमें आईएसआई ने माना है कि आतंकी सरगना सैयद मुहम्मद यूसुफ शाह (सैयद सलाहुद्दीन) हिजबुल मुजाहिदीन का अमीर है। यह संगठन आईएसआई के साथ मिलकर काम करता है और सलाहुद्दीन आईएसआई का ही अधिकारी है।
आईएसआई के इस दस्तावेज से यह साबित होता है कि पाकिस्तान की सेना और खुफिया एजेंसी आतंकियों के साथ मिलकर काम करती है। यह दस्तावेज पाकिस्तान के खुफिया मामलों के निदेशालय, इस्लामाबाद के डायरेक्टर कमांडिंग वजाहत अली खान ने 20 सितंबर, 2019 को जारी किया है। साथ ही दस्तावेज 31 दिसंबर, 2020 तक वैध है, जो सैयद सलाहुद्दीन के नाम से जारी हुआ है। इसमें कहा गया है कि सलाहुद्दीन और उसकी टोयोटा लैंड क्रूजर गाड़ी संख्या आइडीएल 5577 को कहीं पर अनावश्यक रूप से नहीं रोका जाए।
भारत इस दस्तावेज को एफएटीएफ (फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स) की अक्टूबर में पेरिस में होने वाली बैठक में पेश कर सकता है और पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट में डालने की मांग कर सकता है। साथ ही यह बता सकता है कि पाकिस्तान में सरकार और आतंकियों का रिश्ता बदस्तूर जारी है। दोनों पड़ोसी देशों को आतंकवादी गतिविधियों से परेशान करने के लिए मिलकर काम कर रहे है। बीते ढाई साल से पाकिस्तान ग्रे लिस्ट में पड़ा है और ब्लैक लिस्ट में डाले जाने से बचने की कोशिश कर रहा है। भारत के पास वे दस्तावेज भी मौजूद हैं जिनसे पता चलता है कि दुनिया भर में वांछित आतंकियों को पाकिस्तान में किस तरह से वैध वाहन पास और उच्च सुरक्षा क्षेत्र में जाने की अनुमति दी जाती है।